विजय विनीत की रिपोर्ट
सोनभद्र । श्रीरामपुरी (तरावां) में अक्षय तृतीया के मौके पर बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार, ऋचाओं की गूंज के बीच भगवान परशुराम के विग्रह के स्थापना के साथ ही, उसका अनावरण किया गया। बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र पांडेय ने कहा कि श्रीरामपुरी ने हमेशा से राष्ट्रवाद की सोच का साथ दिया है। समााजिक-राजनीतिक देानों गतिविधियों में यहां की बड़ी भूमिका रही है। स्थापित किए गए भगवान परशुराम का विग्रह ने भी यहां की धरती से बड़ा संदेश दिया है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को हमेशा के लिए समाप्त करना है तो उसके लिए भगवान परशुराम के आदर्शों का अनुसरण करना होगा। पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए, कहा कि पीएम मोदी ने भी उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए, आतंकवाद के सर्वनाश का संकल्प ले रखा है। जल्द ही बड़ा परिणाम देखने को मिलेगा।
डॉ पांडेय ने 1947 में हुए दुखद विभाजन और त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा कि, देश में ऐसी सियासी विचारधारा का वर्चस्व था जिसे जालीदार टोपी पसंद थी लेकिन पिछले 11 वर्ष से सनातन युग का वर्चस्व बना हुआ है। कहा कि उन्होंने यहां आकर भगवान परशुराम से कामना की है कि जिस तरह से उन्होंने आतताइयों का खात्मा किया, उसी तरह वह, पीएम मोदी को आतंकवाद के समूल खात्मे की शक्ति दें। उन्हांने आर्यन एकेडमी के बच्चों की ओर से छत्रपति शिवाजी, भारत माता और भगवान शिव की वेशभूषा में सोनभद्र की विशेषता को रेखांकित करने वाली गीत पर नृत्य के प्रस्तुति की सराहना की।
राज्य के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि भगवान परशुराम मातृ-पितृ दोनों की भक्ति के अनुपम उदाहरण रहे हैं। राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्र-शास्त्र दोनों की जरूरत है। यह मसला हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। अगर शास्त्र के साथ मिलने वाली शस्त्र की शिक्षा को नहीं भूले होते तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं होता। पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए, शास्त्र के साथ शस़्त्र के जवाब का ही परिणाम है कि पहलगाम की घटना के बाद, पाकिस्तान की रूह कांप रही है। जल्द ही भारत बड़ा जवाब देगा।
काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई के कुलपति प्रोफेसर राममोहन पाठक ने कहा कि भगवान परशुराम पौरूष और पराक्रम के प्रतीक हैं। उन्होंने क्षत्रियों को नहीं, अधर्मियों का संहार किया था। कहा कि उनके संदेशों को समझने की जरूरत है। महापुरूषों को जाति के बंधन से नहीं बांधा जाना चाहिए।
सदर विधायक भूपेश चौबे ने कहा कि भगवान परशुराम के विचारों का प्रत्येक युग में योगदान रहा है। ब्राहमण समाज का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि यह समाज सदैव अधर्म और अन्याय का प्रतिकार करता आया है। उन्होंने तरावां के कार्यक्रम को बड़ी शुरूआत बताते हुए कहा कि, अब उनकी ओर से जिले में 10 जगहों पर भगवान परशुराम का विग्रह स्थापित कराया जाएगा।
पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम के विचारों और उनके आदशों की खासी अनदेखी की गई है। कहा कि तरावां से जिस कार्यक्रम की शुरूआत की गई, उसकी शुरूआत काफी पहले जिला मुख्यालय से हो जानी चाहिए थी। उन्होंने पूर्व में परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित रहने और बाद में इसे बंद कर दिए जाने पर एतराज जताते हुए, कहा कि ब्राह्मण समाज के लोगों को इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी।
पूर्व विधायक रमेश दूबे ने कहा कि सनातन संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने के लिए प्रत्येक ब्राह्मण को प्रयास करना होगा। लव जिहाद की शिकार होती बेटियों पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे बचाव के लिए जरूरी है कि सनातन की मर्यादा और परंपरा की सीख बेटियों को देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। समाज से एकजुटता की अपील करते हुए कहा कि ब्रह्मकुल के लोगों को अपना अस्तित्व, अपनी चैतन्यता जगाए रखनी होगी।


एमएलसी विनीत सिंह ने कहा कि भगवान परशुराम को सर्व समाज से दूर रखने के लिए बड़ा षडयंत्र रचा गया है। उन्होंने धरती को क्षत्रिय विहीन किया, यह बात गलत तरीके से प्रचारित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम सर्व समाज के हैं। उन्होंने सदैव अन्याय, अधर्म और निरकुंशता के खिलाफ चेतना जगाए रखी। उनके आदर्श और दिखाए गए मार्गों का अनुसरण सभी के लिए जरूरी है।
बीएचयू के पूर्व रजिस्ट्रार मारकंडेय पाठक ने कहा कि भगवान विष्णु के छठे अंश के रूप में भगवान परशुराम का अवतार निरंकुश राजसत्ता पर अंकुश के लिए हुआ था। संचालन भोलानाथ मिश्रा ने किया।
कार्यक्रम संयोजन की जिम्मेदारी विजय विनीत तिवारी और कार्यक्रम प्रबंधन की अगुवाई नितीश पांडेय टोनी ने की। अध्यक्षता श्रीरामपुरी की रामलीला कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी चंद्रदेव पांडेय ने की।
कार्यक्रम में रमेश मिश्र, जयप्रकाश पांडेय चेखुर, कमलकिशोर सिंह, मानस तिवारी, ज्ञानेंद्र त्रिपाठी उर्फ बब्बू त्रिपाठी, राहुल श्रीवास्तव, सुरेंद्र दूबे आदि का अहम योगदान रहा। वहीं, ओमप्रकाश त्रिपाठी, रमाकांत पांडेय, ज्ञानेंद्र त्रिपाठी बब्बू, अशोक मिश्र, अविनाश शुक्ला, शैलेंद्र चौबे, अनिल पांडेय, लालजी तिवारी, जयप्रकाश पांडेय चेखुर, प्रशांत मिश्रा, सुनील त्रिपाठी, अजीत चौबे, गोपाल स्वरूप पाठक, राजेश द्विवेदी, बिंदू पांडेय, विनय पाठक, आशुतोष चौबे, अरूण मिश्रा, सुरेश तिवारी, संजीव तिवारी, राकेश तिवारी, राकेश देव पांडेय, बृजेश देव पांडेय, अनिल पांडेय, अजय पंाडेय, मनोरथ देव पांडेय, राधारमण देव पांडेय, रामकृपाल देव पांडेय, जयहिंद चौबे, सुशील तिवारी, मुरलीश्याम देव, कृष्णा तिवारी, प्रमोद शुक्ला, आकाश पांडेय, अजय द्विवेदी आदि मौजूद रहे।