हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष- (साभार दीपक कुमार केसरवानी के फ़ेसबुक वाल से )
पराधीन भारत में हिंदी भाषा एवं पत्रकारिता को बढ़ावा देने में उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के निवासी अधिवक्ता, साहित्यकार, पत्रकार, पंडित जुगल किशोर शुक्ला जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

ब्रिटिश कालीन भारत में अंग्रेजी, फ़ारसी, उर्दू एवं बांग्ला भाषा में अखबार छपते थे, तब देश की राजधानी “कलकत्ता” में “कानपुर” के रहने वाले वकील पण्डित जुगल किशोर शुक्ल जी ने अंग्रेजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की आधारशिला उदंत मार्तंड समाचार पत्र के माध्यम से रखी जिस पर आज हिंदी पत्रकारिता का शानदार भव्य भवन खड़ा है। उक्त पत्रिका का प्रकाशन डेढ़ वर्ष से अधिक न हो सका। इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक एवं सम्पादक जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को “उदन्त मार्तण्ड” का पहला अंक प्रकाशित किया था , जिसके परिप्रेक्ष्य में ही 30 मई का दिन हिन्दी पत्रकारिता का उद्भव कहलाया और हम हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाते है।

प्रत्येक मंगलवार को प्रकाशित होने वाले इस साप्ताहिक अखबार में हिन्दी भाषा के “बृज” और “अवधी” भाषा का मिश्रण होता था। पत्र वितरण में अंग्रेजों द्वारा लगातार डाक शुल्क में छूट न दिये जाने के कारण इसका 79 वाँ और आखिरी अंक दिसम्बर 1827 में प्रकाशित हुआ। इस समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियाँ प्रकाशित हुयी थी।
उदंत मार्तंड साप्ताहिक प्रकाशन की तिथि 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, व डिजिटल मीडिया से जुड़े मीडिया कर्मियों के लिए यादगार एवं नया इतिहास रचने का दिन है।