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Saturday, November 22, 2025

बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित एक पत्थर की खदान धंसने से कई मजदूरों की मौत व घायल होने की आशंका

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Sonbhdr khadan hadasa।  उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र के ओबरा थाना अंतर्गत ग्राम बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित एक पत्थर के खदान में दुर्घटना होने से उसमें कार्यरत कई मजदूरों के दबने की सूचना मिली है । घटना की पुष्टि जिलाधिकारी द्वारा भी की गई है ।


जिलाधिकारी बी एन सिंह ने बताया कि बिल्ली मारकुंडी स्थित कृष्णा माइंस में किसी दीवार के गिर जाने से वहाँ कार्यरत कुछ मजदूर दब गए हैं । उन्होंने बताया कि दबे हुए लोगों को निकालने का प्रयास अल्ट्राटेक कंपनी, दुसान कंपनी , ओबरा पावर कंपनी तथा अन्य के सहयोग से किया जा रहा है । इनके अतिरिक्त एन डी आर एफ और एस डी आर एफ की टीमें मिर्जापुर से रवाना हो चुकी हैं । डी एम ने बताया कि दुर्घटना में दबे हुए लोगों की संख्या अभी अज्ञात है । एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जनपद में मुख्यमंत्री के आगमन के मद्देनजर खनन क्षेत्र में कोई बंदी का आदेश नहीं दिया गया था लेकिन घटना हुई है तथा जाँच के बाद कार्यवाही की जाएगी।            

     यहां आपको बताते चलें कि कल मुख्यमंत्री जनपद सोनभद्र के दौरे पर आए थे और खनन क्षेत्र से कुछ ही दूरी पर थे परन्तु बेखौफ खनन कर्ताओं द्वारा किए जा रहे बेतरतीब खनन के कारण हुए इस खनन हादसे की परिणति स्वरूप दर्जनों मजदूरों के दब कर मरने या घायल होने की इस सूचना ने लोगों को एक बार फिर से वर्षों पुराने हुए खनन हादसे की याद ताजा कर दी है। वैसे खनन क्षेत्र में खदान के धंसने या किसी अन्य तरह की दुर्घटना होने से मजदूरों के मरने या घायल होने की य़ह कोई पहली या आखिरी घटना नहीं है अर्थात इसके पूर्व भी इस तरह की घटनाएं होती रहीं हैं और आगे भी होती रहेंगी क्योंकि खनन उद्योग जब से अपने अस्तित्व में आया है तब से इस तरह की खबरें आती रहीं हैं और खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों पर तो कई फ़िल्में भी बनी हैं और हिट भी हुई हैं और सब का विषय भी मज़दूरों को खदानों में सुरक्षित तरीके से काम करने की स्थिति उपलब्ध कराने का रहा है जिससे कि काम करने के दौरान  होने वाले हादसे के समय उनकी जान माल की सुरक्षा हो सके और अपनी इसी जिम्मेदारी को प्रशासन निभाने में असफल होता रहा है जिसके कारण जब भी खनन क्षेत्र में इस तरह के हादसे होते हैं तो अत्यधिक जन हानि होती है और हादसे के बाद वही रटा रटाया बयान कि जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

  यहाँ आपको याद दिलाते चलें कि वर्ष 2012 में इसी खनन क्षेत्र में हुए इसी तरह के खनन हादसे में जिसमें खदान धसने से  दर्जनों मजदूरों के दबने से हुई मौत के बाद सोनभद्र के खनन क्षेत्र को बन्द करना पड़ा था और उसके बाद महीनों  चले आंदोलन जिसमें य़ह कहा जा रहा था कि सोनभद्र का प्रमुख व्यवसाय खनन है, के बंद हो जाने की वज़ह से लोगों के जीविकोपार्जन पर संकट खड़ा हो गया है, इसलिए इसे चालू किया जाय तब महीनों चले आंदोलन के बाद तत्कालीन सरकार ने सोनभद्र के खनन क्षेत्र को फिर से शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी।

  यहां आपको अवगत कराते चलें कि जब 2012 के खनन हादसे के बाद बंद हुए सोनभद्र के खनन क्षेत्र को फिर से चालू करने के समय सरकार ने खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा के लिए कुछ मापदंड बनाये थे और सरकारी अधिकारियों पर उसकी निगरानी करने की जिम्मेदारी थी और यहीं से फिर शुरू हुआ फिर एक खेल।जिनके कंधों पर निगरानी की जिम्मेदारी थी सभी ने आंखे मूँद ली और फिर शुरू हुआ बेतरतीब खनन, क्योंकि खनन कर्ताओं को लगता है कि कारू का खजाना मिल गया है और इसमें से जल्दी से जल्दी सारा माल निकाल लिया जाए और इसी चाहत में खदानों में दिन रात मजदूरों को अपनी जान हथेली पर लेकर काम करने पर मजबूर किया जाता है जिसमें उनकी सुरक्षा के लिये कोई इंतजाम तक नहीं किए जाते और ऐसे में जब कोई हादसा हो जाता है तो सभी जिम्मेदार जांच जांच का एक खेल होता है जिसे खेलते हैं और इस हादसे के बाद भी कुछ इसी तरह का प्रशासनिक खेल आने वाले समय में देखने को मिल सकता है

  

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