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Sunday, July 13, 2025

वन नेशन वन वोटर लिस्ट की जरूरत – आचार्य प्रमोद चौबे

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न तो वार्ड बदलते हैं न तो बूथ। फिर भी होती है, अलग अलग वोटर लिस्ट। पंचायतों की अलग तो विधान सभा और लोक सभा की भी अलग।

बीएलओ पर फिजूल खर्चा
आखिर क्यों ? इसका फायदा क्या है ? केवल अलग अलग वोटर लिस्ट बनाने के नाम पर जनता के पैसे का दुरुपयोग ही तो होता है। वोटर लिस्ट बनाने, संशोधन के लिए बीएलओ
की भारी भरकम तैनाती। फिर चुनाव आयोग के माध्यम से फिजूल खर्चा। जनता के जेब पर ही तो भार पड़ता है।

पीछे की कहानी
इसकी पीछे की कहानी क्या है ? और इसका असर क्या पड़ता है ? इस पर भी चर्चा करते हैं। वास्तव में करना क्या चाहिए ? इस पर भी बात करेंगें।

असली लोकतंत्र
असली लोकतंत्र तो यहीं है कि प्रत्येक 18 वर्ष पूरी कर चुका भारतीय नागरिक वोट करे। क्यों नहीं कर पाता ? इसकी भी बात करेंगे। कैसे करें दुरस्त ? इसका भी आसान तरीका है।

अलग वोटर लिस्ट से नाजायज फायदा
अलग अलग वोटर लिस्ट से नाजायज फायदा किसको होता है ? उदाहरण लेते हैं पंचायत की वोटर लिस्ट की। पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, नगर पंचायत सदस्य, नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका सदस्य, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर महापालिका सदस्य अर्थात पार्षद, नगर पालिका अध्यक्ष अर्थात महापौर शामिल हैं। इसके वोटर, विधान सभा के वोटर, लोक सभा के वोटर में अप्रत्यासित अंतर रहता है।

प्रवासियों के नाम कई स्थानों पर
जो लोग वर्षों से गांव या लोकल नगर में नहीं रहते, उनका भी नाम पंचायत की वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाता है। वह इसलिए कि उनकी अचल संपत्ति उन स्थानों पर होती है। ध्यान देने की बात है कि कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष हो गई है और छह महीने से निवास कर रहा हो तो उसका नाम वोटर लिस्ट में हो सकता है।

प्रवासी भी डालते वोट
यहां तो चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उन लोगों का भी नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाता है, जो केवल ग्राम या नगर पंचायत के चुनाव में पांच वर्ष में वोट डालने के लिए विदेश से आते हैं। ऐसे लोगों का नाम न तो विधान सभा के चुनाव में होता है और न ही लोक सभा के चुनाव में।

एक राष्ट्र एक चुनाव
एक राष्ट्र एक चुनाव की बात चल रही है। अभी वह भी अधूरी है। पंचायत के चुनाव से लेकर विधान सभा और लोक सभा के चुनाव को एक साथ कराया जाना चाहिए। इससे वोट प्रतिशत अप्रत्यासित रूप से बढ़ेगा। ग्राम पंचायत या नगर पंचायत के कम आकार वाले चुनाव में प्रत्यासी अपने अपने समर्थन में ज्यादा से ज्यादा वोट डलवाते हैं।

पंचायत चुनाव में जुड़ती है प्रतिष्ठा
पंचायत चुनाव को ज्यादातर प्रत्यासी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं। पंचायतों के चुनाव के साथ ही विधान सभा, लोक सभा का चुनाव भी एक साथ हो जाए तो वोट प्रतिशत खुद ब खुद बढ़ जाएगा। जिससे लोकतंत्र तो मजबूत होगा कि वहीं देश का अरबों का खर्चा भी बचेगा।

वोटर की योग्यता एक
एक वोटर लिस्ट की जो बात हम कर रहे हैं। बात साफ है कि पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा के चुनाव तक वोटर की योग्यता एक है। मतदाता सूची अलग अलग बनाने का अब कोई औचित्य नहीं है।

कैसे बनाई जाए वोटर लिस्ट
प्रत्येक भारतीय नागरिक का आधार कार्ड बनता है। उसकी उम्र जैसे ही 18 वर्ष हो, वैसे ही आधार कार्ड पर उल्लिखित पता के आधार पर स्वत: मतदाता सूची में उसका नाम जुड़ जाए। यह प्रकिया बैंकों ने रुपए के लेन देन जैसा बना दिया जाना चाहिए और जैसे ही चुनाव हो, उसी लिस्ट से चुनाव करा दिया जाए।

आधार कार्ड की बने पहचान पत्र
आधार कार्ड को ही मतदाता पहचान पत्र मान लिया जाए। मतदाता पहचान पत्र बनाने के नाम पर हो रहे खर्चे खत्म हो जाएंगे। जन्म प्रमाण पत्र आधार कार्ड से लिंक हो और मृत्यु प्रमाण पत्र भी आधार कार्ड से लिंक हो। अर्थात मतदाता की मृत्यु प्रमाण पत्र बनते ही मतदाता सूची से नाम हट जाए। अपडेटिंग अनवरत चलती रहे।

बढ़ेगा वोट प्रतिशत
हमने देखा है कि वोट डालने के लिए न जाने क्या क्या जुगत चुनाव आयोग करता है पर वोटर लिस्ट शत प्रतिशत दुरस्त नहीं करवा पाता। मरने वालों का भी नाम बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट में पड़े रहते हैं। स्थान बदलने वालों का भी नाम वोटर लिस्ट में पड़ा रहता है। वोट प्रतिशत बढ़ेगा कैसे ?

अंत में हंसी आएगी
एक बार उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के बिल्ली मारकुंडी ग्राम पंचायत में जन संख्या से अधिक वोटर हो गए थे। आनन फानन में कम उम्र और ज्यादा उम्र वालों को अघोषित तौर पर नाम काट कर वोटर लिस्ट में नाम जन संख्या से कम की गई थी।

अपवाद..विधान परिषद और राज्य सभा के सदस्यों के मतदाताओं की भारतीय मतदाता होने के साथ ही विशेष योग्यता होती है। उन्हें उन्हीं आधार पर मतदान में प्रतिभाग करने दें। राज्य सभा की अनिवार्यता है पर मुझे लगता है कि विधान परिषद देश की जनता पर अतिरिक्त खर्च है। इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी जरूरत या महत्ता होती तो सभी प्रदेशों में विधान परिषद होती।
लेखक स्तंभकार और प्रवक्ता हैं।
गुरुधाम निकट सेक्टर 9 बी श्री रामनगर ओबरा सोनभद्र

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