सोनभद्र । उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिला मुख्यालय से महज 5-6 किलोमीटर दूर बसे भरहीया गांव में आजादी के 75 साल बाद भी पक्की सड़क की सुविधा नहीं है। इसकी वजह से गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है। ताजा मामला बब्बन सिंह का है, जिन्होंने सड़क की कमी के कारण समय पर इलाज न मिलने से जिंदगी की जंग हार दी।

ग्रामीणों के अनुसार, बब्बन सिंह की तबीयत खराब होने पर परिजनों ने एम्बुलेंस बुलाई, लेकिन पक्की सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस गांव से करीब 2 किलोमीटर पहले पलिया गांव आकर रुक गई। जब तक परिजन बब्बन को एम्बुलेंस तक पहुंचा पाते, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। ग्रामीणों ने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। सड़क की कमी के कारण अब तक दर्जनों लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं।

भरहीया गांव के निवासियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की है। पत्र में उन्होंने कहा, “हमने बार-बार जिम्मेदार अधिकारियों, सांसद और विधायक से गांव तक पक्की सड़क बनवाने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। बरसात के मौसम में तो हालात और बदतर हो जाते हैं, क्योंकि कीचड़ भरी सड़क पर कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता।”
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे मजबूरन सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर किया है।

जिला प्रशासन से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ग्रामीणों की मांग है कि उनकी इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।