चोपन । सोनभद्र । नन्हे मुन्ने बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से रजधन गाँव में स्थापित प्रयास बच्चों की पाठशाला के प्रति गाँव के बच्चों विशेषकर बेटियों का रुझान बढ़ा है। शुरुआती तीन चार दिनों में ही दो दर्जन से अधिक बच्चे सूची बद्ध हो चुके हैं।

पाठशाला का संचालन गाँव की ही बीएससी की छात्रा कु. पुष्पांजलि कर रही है जो अभावों के बीच रहकर खुद पढ़ रही है लेकिन उसमें जज्बा है अपने गाँव गिरांव के नन्हे मुन्ने बच्चों को पढ़ाने का। बच्चों का शिक्षा के प्रति रुझान बढ़े, इस हेतु खुद कालेज से पढ़कर आने के बाद रोज शाम अपने घर के आंगन में स्थापित प्रयास बच्चों की पाठशाला में नन्हे मुन्ने बच्चों को नि: शुल्क पढ़ाने के शिक्षा दान अभियान में जुटी है।
खुद पढ़ कर आने के बाद बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती है पुष्पांजलि

महज तीन दिनों में दो दर्जन से अधिक बच्चे हुए सूचीबद्व
उल्लेखनीय है कि सोनभद्र जिले के मारकुंडी घाट नीचे राबर्टसगंज विकास खंड की ग्राम सभा रजधन के एक साधारण आर्थिक पृष्ठभूमि परिवार की बालिका कु. पुष्पांजलि इस साल इंटर पास करने के बाद आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति चाहकर भी इस साल उसे आगे पढ़ाने की स्थिति में नहीं थी। अभिभावकों द्वारा अगले साल पढ़ाने के आश्वासन पर भरोसा कर वह घर पर निराश थी।

इस की जानकारी होने पर सामाजिक संस्था प्रयास सामाजिक सेवा समिति के अध्यक्ष और ग्रामीण पत्रकार एशोसिएशन उ प्र के प्रदेश संगठन मंत्री अजय भाटिया ने सहयोगियों के साथ उस बिटिया की शिक्षा जारी रखने हेतु सहयोग का हाथ बढ़ाया और उस की इच्छा के अनुरूप विन्ध्य कन्या महाविद्यालय सोनभद्र में बी एस सी में उस का दाखिला कराया। शिक्षा हेतु सहयोग मिलते ही उसका चेहरा खिल उठा।मानो उसे अपने सपनों की उड़ान भरने हेतु पंख मिल गये हों। अब वह गाँव से दो बार आटो बदल कर नियमित राबर्टसगंज अपने कालेज जाती है। अपने सपने पूरे होने के उल्लास के साथ ही अब वह गाँव के ही नन्हे मुन्ने बच्चों में शिक्षा का महत्व बताने में जुटी है।

इसी क्रम में प्रयास सामाजिक सेवा समिति की पहल पर उसने अपने घर के आंगन में ही प्रयास बच्चों की पाठशाला स्थापित की जिसमें शुरुआती तीन चार दिनों में ही करीब दो दर्जन शिशु बालक- बालिकाये नियमित रूप से अपने घर से बिछौना पट्टी लेकर पढ़ने आने लगी हैं। गत दिवस गाँव पहुँच कर प्रयास सामाजिक सेवा समिति के अध्यक्ष अजय भाटिया ने बहुउपयोगी प्रयास ज्ञान पुस्तकें उपलब्ध कराने के साथ ही बच्चों के बैठने हेतु दरी व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने की बात कही। आने वाले समय में यह प्रयास नि: संदेह सार्थक सिद्व होगा।