लखनऊ। आज होटल चरन इंटर्नेशनल , लखनऊ , में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । आयोजन पंडित गोविंद बल्लभ पंत ग्राम्य विकास अध्ययन संस्थान और साँझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से किया गया । कार्यशाला में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं , मीडिया , सांझा प्रयास नेटवर्क से सुश्री रत्ना , साँझा प्रयास सचिवालय लखनऊ , डॉ ० एस पी पाण्डेय , सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग सुश्री आकांक्षा यादव , रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर , आदि लोगों ने प्रतिभाग किया तथा ” प्रजनन स्वास्थ्य व सुरक्षित गर्भसमापन ” विषय पर अपने विचार रखे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर द्वारा किया गया । डॉ ० एस पी पाण्डेय ने साँझा प्रयास नेटवर्क के बारे में बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का नेटवर्क है जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है । इसके साथ ही यह भी बताया गया कि जनपद लखनऊ में साँझा प्रयास नेटवर्क के तहत लगभग 623 आशा , 121 ए ० एन ० एम व 238 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सुरक्षित गर्भसमापन व परिवार नियोजन विषय पर जागरूक किया गया । साथ ही यह नेटवर्क विभिन्न हितधारकों जैसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों , पंचायत प्रतिनिधि , लोकल एन 0 जी 0 ओ , मीडिया , सेवा प्रदाताओं आदि के साथ कार्य कर रहा हैं जिससे समुदाय के लोगों में सुरक्षित गर्भसमापन व परिवार नियोजन विषय पर जागरूकता बढ सके । सुश्री आकांक्षा यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि The Guttmacher Institute के अध्ययन के अनुसार “ भारत में अनुमानित प्रतिवर्ष 1.56 करोड़ गर्भ समापन होते है , जिनमें लगभग 50 प्रतिशत गर्भ धारण अनचाहे होते हैं ।
भारत में मातृ मृत्यु दर में असुरक्षित गर्भसमापन का योगदान 8 प्रतिशत है । उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं में होते हैं । साथ ही उन्होने कहा कि सुरक्षित गर्भसमापन विषय से संबंधित जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और लोग इस विषय पर जागरूक हों । आई ० पास 0 डेवेल्पमेंट फाउंडेशन से सुश्री रत्ना ने एम ० टी ० पी एक्ट के बारे में विस्तार से बताया कि हमारे देश में गर्भपात हेतु मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट , 1971 ( चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम ) लागू है लेकिन गर्भ समापन सम्बन्धी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है । चूंकि स्वैच्छिक संस्था के प्रतिनिधियों की भी स्थानीय स्तर पर सेवादाताओं की निगरानी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।
अतः उक्त मुद्दों पर संस्था प्रतिनिधियों के संवेदीकरण से समुदाय में बेहतर जागरूकता लाने में मदद मिलेगी तथा असुरक्षित गर्भसमापन के कारण हो रही महिला मृत्युदर में कमी लायी जा सकेगी । इस कार्यशाला की मुख्य अतिथि , डॉ ० अलका जैन थीं जो कि एक मेडिकल ऑफिसर हैं । उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागीयों की गर्भसमापन जैसे मुद्दे पे संवेदिकरण किया और सभी को अपने अपने समुदाय में जा के सुरक्षित गर्भसमापन पर सही जानकारी देने के लिए प्रेरित किया ।