वन क्षेत्र में अवैध खनन कर बालू गिट्टी निकालने का बाकायदे रेट तय है।उक्त धनराशि के शेयर में ऊपर से नीचे तक सबका हिस्सा फिक्स है।
सड़क निर्माण में प्रति किलोमीटर के हिसाब से कांट्रेक्टर को देना होता है धन,सड़क की लंबाई चौड़ाई के हिदब से तय होता है वन सामग्री का दाम
सोनभद्र ब्यूरो| रामपुर बरकोनिया थाना क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग से संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है जो मऊ से लौवा समदा तक बन रही है । इस निर्माण कार्य में वन विभाग के अधिकारी व उनके स्थानीय कर्मचारियों के मिलीभगत से ठेकेदार के द्वारा वन क्षेत्र से ही गिट्टी बालू का इस्तेमाल कर सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यहाँ यह बात विचारणीय है कि यदि कोई गरीब आदिवासी भोजन बनाने के लिए जंगल की लकड़ी काट ले तो वनकर्मी उसके ऊपर इतना मुकदमों का अंबार लगा देते हैं जैसे वह भारत का नागरिक नहीं पाकिस्तान से आया हो और वहीं रसूखदार ठेकेदार यदि पूरा का पूरा पहाड़ ही तोड़ कर सड़क निर्माण में प्रयोग कर रहे हैं तो वन कर्मियों को दिखाई नहीं देता यह समझ से परे है।यहां भी गांधी की ही माया रूपी छाया काम करती है। चूंकि कांट्रेक्टर के पास गांधी की शक्ति है इसलिए उसके सारे गलत काम माफी योग्य।
स्थानीय लोगों के द्वारा जब इस मामले की शिकायत जब वह विभाग के अधिकारियों से की गई तो वह जांच करने के लिए तो मौके पर पहुंचे ,लेकिन चुर्क रेंजर रामनारायण जैसल की मौजूदगी में फॉरेस्टर राजेंद्र शर्मा के द्वारा मौके पर काम कर रहे ठेकेदार के लोगों को भद्दी भद्दी गालियां देकर मौके से भगा दिया गया
लेकिन वहां काम कर रहे जेसीबी व ट्रैक्टर को भी छोड़ दिया गया उसके ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई जिसको देखते हुए स्थानीय लोगों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर यह आरोप लगाया कि लगता है कि वन विभाग के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ठेकेदार के द्वारा वन संपदा का दोहन किया जा रहा है
हालांकि इस मामले में लोगों की शिकायत के बाद प्रभागीय वन अधिकारी के द्वारा मामले में जांच करा कर दोषी ठेकेदार व विभागीय लोगों के खिलाफ कार्यवाही का आश्वासन तो दिया गया है लेकिन ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकर्षित करते हुए इस मामले में सीघ्र कार्यवाई की मांग किया है।