Thursday, April 18, 2024
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महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद के नाम मंजूर करवाया था पेट्रोल पंप , फिर हो गया ये विवाद और…

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आनंद गिरि को महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन गुरु और शिष्य के बीच हुए विवाद हो गया. ये विवाद पेट्रोल पंप की मंजूरी को लेकर हुआ. इसके बाद उन्हें निरंजनी अखाड़े के साथ ही मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर से बेदखल कर दिया गया था.

विंध्यलीडर टीम की खास रिपोर्ट

प्रयागराज ।  पंचायती अखाड़ा निरंजनी से 14 मई 2021 को निष्कासित किए गए स्वामी आनन्द गिरी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि के सबसे करीबी शिष्यों में से एक थे. उन्हें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के तौर भी देखा जा रहा था, लेकिन गुरु और शिष्य के बीच हुए विवाद के बाद उन्हें निरंजनी अखाड़े के साथ ही मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर से बेदखल कर दिया गया था, हालांकि इस मामले में महंत नरेन्द्र गिरि ने स्वामी आनन्द गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाये जाने की खबरों से इंकार किया था.

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2019 में आस्ट्रेलिया की सिडनी में जेल काट चुके हैं आनंद गिरि

स्वामी आनंद गिरि की पहचान देश विदेश में योग गुरु के रूप में थी. स्वामी आनंद गिरि का विवादों से भी नाता रहा है, लेकिन उनके साथ सबसे बड़ा विवाद आस्ट्रेलिया में 2016 और 2018 के एक पुराने मामले में जुड़ा. जबकि अपनी दो महिला शिष्याओं के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले में वर्ष 2019 में वे सुर्खियों में आये थे. इस मामले में उन्हें मई 2019 में आस्ट्रेलिया के सिडनी में जेल भी जाना पड़ा था. हांलाकि सितम्बर माह में सिडनी कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी करते हुए पासपोर्ट रिलीज करने का आदेश दे दिया था. जिसके बाद ही स्वामी आनन्द गिरी की स्वदेश वापसी हो सकी थी. इस बारे में भी यह कहा जाता है कि उन्हें छुड़ाने के लिए महंत नरेंद्र गिरि ने यहां से 4 करोड़ रुपये भेजे थे.

पेट्रोल पंप को लेकर उभरे थे मतभेद

दरअसल, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि एक पेट्रोल पंप खोलना चाहते थे, लेकिन उनकी शैक्षिक योग्यता न होने के चलते उन्होंने अपने शिष्य आनन्द गिरि के नाम पेट्रोल पंप लगभग मंजूर करा भी लिया था.​ इसके लिए मठ की एक जमीन भी लीज पर आनन्द गिरि के नाम पर कर दी थी. इस बीच महंत नरेंद्र गिरि को ऐसा आभास हुआ कि उनके शिष्य आनन्द गिरि की मंशा कुछ ठीक नहीं है. जिसके बाद उन्होंने पेट्रोल पंप न लेने की बात कही. जिसको लेकर गुरु और शिष्य के बीच तकरार बढ़ गई थी. दोनों के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि महंत नरेंद्र गिरी को अपने सबसे प्रिय शिष्य को निरंजनी अखाड़े के साथ ही मठ और बड़े हनुमान मंदिर से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा.

वीडियो जारी कर दी थी सफाई

अपने निष्कासन के बाद स्वामी आनन्द गिरी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपनी सफाई पेश की थी. उन्होंने कहा है कि उनके निष्कासन की कार्रवाई पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पंच परमेश्वरों द्वारा की गई है. उन्होंने कहा था कि वे इस कार्रवाई से बहुत आहत हैं.

स्वामी आनन्द गिरि ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जतायी थी, लेकिन उन्होंने अपने गुरु पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी को लेकर कहा है कि उनके खिलाफ मैंने कभी कुछ नहीं कहा है और आगे भी नहीं कहेंगे. स्वामी आनन्द गिरी ने कहा है कि भले ही उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया और उनके गुरु ने भी मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर से निष्कासित कर दिया है.

लेकिन अपने गुरु के प्रति उनके मन में कोई आवेश नहीं है और महंत नरेन्द्र गिरि उनके गुरु हैं और हमेशा गुरु ही रहेंगे. उन्होंने आरोप लगाया था कि इस कार्रवाई के बाद कुछ लोग सोशल मीडिया पर कई तरह की खबरें चलाकर गुरु-शिष्य को लड़ाने और गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वीडियो के अंत में उन्होंने कहा है कि ये विषय लम्बा और इस मामले में इससे ज्यादा उन्हें कुछ भी नहीं कहना है.

परिवार से संबंधों पर निष्कासित हुए थे आनंद गिरि

दरअसल स्वामी आनंद गिरि पर सन्यास धारण करने के बावजूद अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगाया गया था. उन पर आरोप था कि सन्यास परंपरा में आने के बाद अपने परिवार से संबंध रखते हैं, जिसके चलते उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है. स्वामी आनंद गिरि पर ये भी आरोप लगा था कि बाघम्बरी गद्दी और मंदिर से अर्जित धन वे अपने परिजनों के लिए घर भेजते थे. इस प्रकरण की महंत नरेन्द्र गिरी ने अखाड़े के पंच परमेश्वरों से जांच भी कराई थी. पंच परमेश्वरों की जांच में दोनों आरोप सही पाए जाने के बाद ये सख्त कार्रवाई की गई थी.

आनंद ने गुरू नरेंद्र गिरि पर ही लगाए थे आरोप

हालांकि बाद में एक दूसरा वीडियो जारी कर स्वामी आनंद गिरी ने अपने गुरु पर गंभीर आरोप भी लगाए थे. कुछ माह पूर्व लखनऊ में एक होटल में गुरु शिष्य का मिलन हुआ और गुरु ने इस शर्त पर कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ कोई बयान बाजी नहीं करेंगे उनको माफ भी कर दिया था. लेकिन न ही उनकी निरंजनी अखाड़े में वापसी कराई गई थी और न ही मठ बाघमबारी गद्दी में आने पर पाबंदी हटाई गई थी.

चाय की दुकान पर काम करते मिले थे आनंद गिरि

महंत नरेंद्र गिरि ने न्यूज़ 18 को इस विवाद के बाद बताया था कि स्वामी आनंद गिरी 10 वर्ष की अवस्था में उन्हें हरिद्वार में मिले थे और वह मूल रूप से राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं. अपने घर से भाग कर आए थे और चाय की दुकान पर काम करते हुए उन्हें मिले थे. महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक उन्होंने आनंद गिरि को कुछ रुपए दिए और उनको समझा बुझाकर घर जाने को कहा. जब आनंद गिरि घर नहीं गये तो उन्हें अपने साथ रख लिया और उन्हें संस्कृत की शिक्षा दिलाई.

उत्तराधिकारी की थी संभावना , अब हुए गिरफ्तार

स्वामी आनंद गिरी को महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी भी कहा जाने लगा था. आनन्द गिरि बड़े हनुमान मंदिर के छोटे महंत कह जाते थे. मठ बाघम्बरी गद्दी से लेकर बड़े हनुमान मंदिर तक स्वामी आनंद गिरी का ओहदा दूसरे नंबर का था.बहरहाल महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी के खिलाफ जार्ज टाउन थाने में नामजद एफ आई आर दर्ज कराई है. जिसके क्रम में पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

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