म्योरपुर। आज तड़के म्योरपुर थाना क्षेत्र के आश्रम मोड़ के पास दुद्धी मार्ग पर सड़क के किनारे लावारिस हालत में झोले में लिपटा एक नवजात शिशु मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई । ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची म्योरपुर पुलिस ने नवजात को कब्जे में लेकर सीएचसी म्योरपुर में भर्ती कराया जहां चिकित्सकों ने प्रारंभिक जांच के बाद बेहतर इलाज के लिए उक्त नवजात को रेफर कर दिया।सोमवार को म्योरपुर पुलिस को सूचना मिली की गोविंदपुर आश्रम के पास दुद्धी मार्ग पर झोले में लिपटा एक नवजात पड़ा है।सूचना मिलते ही दलबल के साथ मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष अश्वनि कुमार त्रिपाठी ने नवजात को कब्जे में लेकर
सीएचसी म्योरपुर में भर्ती कराया जहां उपस्थित चिकित्सक डा ० डीके चतुर्वेदी ने प्राथमिक जांच के बाद बेहतर इलाज के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया । डा ० चतुर्वेदी ने बताया कि शिशु प्रीमेच्योर है । शिशु का वजन एक किलो ढाई सौ ग्राम ही है और शिशु को इंफैक्शन होने का भी खतरा है इसलिए बेहतर इलाज के लिए शिशु को जिला चिकित्सालय रेफर किया जा रहा है।वहीं नवजात शिशु मिलने की खबर मिलते ही क्षेत्र में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया ।
खबर के अंदर की खबर।यदि चर्चाओं पर गौर करें तो एक मामला साफ है कि आज जो नवजात शिशु मिला है वह बालक है इससे यह बात भी साफ है कि यह किसी सामाजिक भेदभाव के कारण या समाज मे लड़कियों के प्रति किसी भेदभाव पूर्ण सोच के कारण यह नवजात लावारिश हालत में नहीं फेंका गया है अपितुऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह सामाजिक लोकलाज के कारण ही उसे फेंका गया है। यह तो खबर हो गई इसके अंदर की खबर यह है कि यदि म्योरपुर सी एच सी के डॉक्टर की बात पर गौर करें तो उक्त नवजात प्रीमेच्योर है इससे यह बात तो साफ है कि उक्त बच्चे की डिलीवरी कही न कहीं झोलाछाप डॉक्टरों से कराई गई होगी।इससे यह बात भी साफ है कि जिले में इस तरह के अवैध नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं जहां इस तरह की इलीगल एक्टिविटीज को अंजाम दिया जा रहा है।यदि ऐसा नही होता तो लावारिस हालत में प्रिमेच्योर डिलीवरी कराकर बच्चे को इस तरह लावारिश हालत में सड़कों पर आए दिन न फेंका जाता।