सोनभद्र। पिछले दो विधानसभा चुनावों पर नजर डाली जाय तो विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर विजेताओं को मिली जीत में नगरपालिका क्षेत्र में पड़ने वाले वोट ने निर्णायक भूमिका निभाई है। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सदर सीट से विजयी रहे समाजवादी पार्टी के अविनाश कुशवाहा को मिली जीत में नगरपालिका क्षेत्र में मील वोट निर्णायक रहे।यहां आपको बताते चलें कि नगरीय क्षेत्र में पड़ने वाले वोट परम्परागत रूप से भाजपा को अधिक मिलता है परंतु वर्ष 2012 में अप्रत्याशित रूप से नगरीय क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को अधिक मत मिले जिसका परिणाम यह रहा कि उक्त चुनाव में सदर सीट से भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा।उक्त विश्लेषण से एक बात तो साफ है कि यदि नगरपालिका क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार को उसका परम्परागत वोट मिल गया होता तो परिणाम कुछ और ही निकलता।हो सकता है कि नगरपालिका क्षेत्र में भाजपा के वोटर परम्परागत रूप से भाजपा को वोट कर देते तो ऐसा नहीं कि 2012 के चुनाव में उसका प्रत्याशी विजयी हो जाता परन्तु इतना तो तय है कि उक्त चुनाव का परिणाम भी बदल अवश्य जाता।
निश्चित है कि भाजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर नहीं होता और समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी विजयी नहीं होता।अब 2022 में सम्पन्न होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर दोईडी जाय तो यह तो यह तो निश्चित ही है कि होने वाले विधानसभा चुनाव2022 में भी सोनभद्र की एकमात्र नगरपालिका परिषद में पड़ने वाले वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे।अब यदि पिछले कुछ दिनों की नगरपालिका क्षेत्र में घटित घटनाओं का विश्लेषण किया जाय तो यह तो स्पष्ट ही है कि सब कुछ ठीक नही चल रहा है।बरसात के दिनों में नगरवासियों की हुई दुर्गति व बार बार फन उठा रही भ्र्ष्टाचार की आवाजें निश्चित ही भाजपा के मिशन 2022 पर पानी फेर सकती हैं।सबसे बुरी स्थिति तो यह है कि वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष का नगर की समस्या के प्रति उदासीन होना निश्चित ही 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारो पर भारी पड़ेगा।ऐसा प्रतीत होता है जैसे वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष को चुनाव व राजनीतिक परिदृश्य से कोई लेना देना नहीं है।
ऐसे में उनसे इससे अधिक की उम्मीद करना भी बेईमानी ही होगा।बातचीत के दौरान उनका यह कथन की मुझे तो जबर्दस्ती ही राजनीति में धकेला गया है मेरी कोई राजनीति इच्छा नहीं है, “निश्चित ही भाजपा को विधानसभा चुनाव2022 में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।” ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि यदि नगरवासियों की नाराजगी भाजपा के खिलाफ गयी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नगरपालिका क्षेत्र में पड़ने वाले वोटों से हाथ धोना पड़ सकता है जो परिणाम को बदल भी सकते हैं।