कैप्टन अमरिंदर सिंह की सीएम की कुर्सी डूब गई हो, लेकिन उनके बाद जो भी सत्ता संभालेगा उसके सामने ड्रग्स व बेअदबी जैसे मामलों को लेकर जनता से किए गए वादों को में पूरा करना एक बड़ी चुनौती होगी।
चंडीगढ़ । भले ही पंजाब की सियासत में आए भंवर में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सीएम की कुर्सी चली गई हो, लेकिन उनके बाद जो भी सत्ता संभालेगा उसके सामने ड्रग्स और बेअदबी जैसे मामलों को लेकर जनता से किए गए वादों को में पूरा करना एक बड़ी चुनौती होगी. पंजाब विधानसभा चुनाव को छह माह से कम समय बचा है।
जबकि कांग्रेस के 18 सूत्रीय एजेंडे के मुताबिक पंजाब के लोगों की समस्याएं अभी भी वहीं की वहीं हैं. ऐसे में जिस 18 सूत्रीय एजेंडे को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरा, क्या उस एजेंडे को नया सीएम पूरा कर पाएगा यह अपने आप में बड़ा सवाल है ?
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कैप्टन की कुर्सी के जाने के पूरे सियासी प्रकरण के बाद चीजें और समस्याएं वहीं की वहीं होंगी, सिर्फ सीएम बदला जाएगा । सिद्धू के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सारा बवाल 18 सूत्रीय एजेंडे पर अमल करने को लेकर ही था । इस एजेंडे को हाईकमान की सहमति से ही तैयार किया गया था और सिद्धू इस एजेंडे पर अमल करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को लगातार घेर रहे थे ।
सिद्धू का कहना था कि सरकार गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. वह अक्सर कैप्टन सरकार पर रेत माफिया को लेकर भी निशाना साध रहे थे। 18 सूत्रीय एजेंडे में सरकार को रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया था । ट्रांसपोर्ट माफिया के खिलाफ न कार्रवाई करने के भी सिद्धू खेमा सीएम पर आरोप लगा रहा था।
ड्रग्स के मुद्दे को लेकर कैप्टन ने जनता से वादा किया था कि वह चार सप्ताह में नशे को खत्म कर देंगे, लेकिन सरकार के साढे चार साल बीतने के बाद भी वह ड्रग माफिया के खिलाफ कोई संतोषजनक कार्रवाई करने में नाकाम रहे । इसके अलावा अनुसूचित जाति के लोगों के भूमि पर कब्जों को रेगुलराइज़ करना और उनके बच्चों को वजीफा देना और किसानों की तर्ज पर एससी के लोगों का लोन माफ करना करना भी 18 सूत्रीय एजेंडे में शामिल है।
बिजली खरीद समझौतों को रद्द करने को लेकर भी सिद्धू कैप्टन के प्रति आक्रामक रहे । नए सीएम के ऐलान के साथ ही यह सब समस्याएं स्वागत करने के लिए खड़ी होंगी। ऐसे में कांग्रेस संगठन और सरकार लोगों से किए वादे चुनाव से पहले पूरा नहीं करती है तो आगामी चुनाव में इसके नाकारात्मक परिणाम भी सामने आ सकते हैं।