ब्रजेश पाठक की खास रिपोर्ट
सोनभद्र । एक तरफ प्रदेश सरकार के द्वारा गरीबों को सर पर छत मिले इसको देखते हुए मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत नव सृजित कर्मा ब्लाक के टिकुरिया गांव में 29 आवास मुसहर जनजाति को मिला है। लेकिन ग्रामीणो की शिकायत है कि तत्कालीन प्रधान और सेक्रेटरी की मिलीभगत से इन भोले-भाले ग्रामीणों से पेशगी के तौर पर ₹10-10 हजार प्रति लाभार्थी लेने के बाद उनको आवास बनाने के लिए फंड रिलीज कराया गया जिसकी वजह से धन की कमी से इन आदिवासियों का आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो सका ।
एक तरफ जहां गिट्टी बालू के आसमान छूती कीमत उस पर भ्र्ष्टाचार में लिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों की आदतन घूस लेने की परंपरा इन गरीबों के आशियाने के सपने को सपने में ही रहने को मजबूर कर दिया।
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इतना ही नहीं इस मामले में गरीबी से बेजार इन मुसहरों के द्वारा घूस मांगे जाने की शिकायत करने के बाद भी मामले की जांच करने कोई जिम्मेदार अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा। उस पर सरकार व सरकार के नुमाइंदों का चारों तरफ घूम घूम कर यह प्रचारित करना कि आजादी के इतने वर्षों तक उक्त मुसहर प्रजाति की जनजातियों पर किसी का ध्यान नहीं था यह तो केवल योगी जी ने ही इन्हें आवास देकर इन्हें सम्मानित तरीके से जीवन यापन करने के लिए पहल की है। इन गरीबों का मजाक उड़ाने जैसा लगता है।
हालांकि ग्रामीणों के द्वारा इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल सहित तमाम आला अधिकारियों से की गई है जब इस मामले में जिला अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है और जल्द ही इस मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाएगा।
आपको बताते चलें कि सोनभद्र के करमा विकासखंड के टिकुरिया गांव मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 29 आवास आवंटित किया गया है लेकिन यह आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो सके हैं जब इस संबंध में ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आवास बनाने के लिए प्रथम किस्त रिलीज होने से पहले ही ग्राम प्रधान के द्वारा ₹10-10 हजार यह कह कर ले लिया गया की यह पैसा देने के बाद ही अधिकारी आवास बनाने के लिए पैसा रिलीज करेंगे ।भोले-भाले ग्रामीणों के द्वारा ग्राम प्रधान को पैसा दे दिया गया ।जिसकी वजह से अब ग्रामीणों का आवास पूरा नहीं हो सका है।
ग्रामीण आदिवासी गोविंद ने बताया कि उसको मुख्यमंत्री आवास मिला हुआ है लेकिन प्रधान के द्वारा ₹10 हजार ले लिया गया और उसकी मजदूरी के ₹5000 मांगने पर प्रधान को ढाई हजार रुपया घुस देने पर मजदूरी दिलाए जाने की बात की गई। गोविंद ने दोबारा ढाई हजार घुस नहीं दिए जीसकी वजह से उसका मजदूरी का भुगतान भी नहीं हो सका।
इतना ही नहीं पानमती ने बताया कि उसके बेटे को भी आवास मिला हुआ है और ग्राम प्रधान के द्वारा एक गाड़ी ईंट मंगाया गया जिसमें 5 लोगों को बांटा गया। ईट कम पड़ने पर वह अपने पास से लगाकर आवास को छत तक तो बनवा लिया परन्तु आवास के पैसे में से घूस देने के कारण अभी तक उसमें खिड़की दरवाजा व प्लास्टर का कार्य नहीं करा पाई। इसके लिए ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पोर्टल व डीपीआरओ के पास मामले की शिकायत की लेकिन अभी तक इस मामले में ना तो कोई जांच की गई है और ना ही कोई कार्यवाही होती नजर आ रही है।
यह बात किसी एक गांव में ही नहीं अपितु सोनभद्र के हर गांव में देखने को मिल जाएगी।अभी कुछ दिनों पूर्व विंध्यलीडर समाचार पत्र की एक टीम जब गांवों में ग्राम पंचायतों द्वारा कराए गए विकास कार्यो की स्थलीय पड़ताल करने गांवों में पहुची तो पता चला कि गांव में पंचायत सचिवों की मिलीभगत से बहुतायत कार्य ऐसे हैं जिनका सत्यापन करना काफी मुश्किल हो सकता है जैसे पेय जल के लिए गांवों में कराए गए हैण्डपम्प रिबोर।
आपको बताते चलें कि जहाँ एक तरफ जिले में जिलापंचायत द्वारा नए हैण्डपम्प लगाने पर मात्र 79000 रुपये खर्च किये जाते हैं वहीं ग्रामपंचायतों द्वारा केवल हैंडपंप के रिबोर पर लाखों रुपये खर्च दिखाया जा रहा है।यहाँ एक बात तो स्प्ष्ट है कि भाजपा सरकार चाहे जितना भी ढोल पीट ले कि उसके समय भ्र्ष्टाचार कम हो गया है परन्तु सरकारी कर्मचारियों के रवैये में कोई भी परिवर्तन नहीं है।
सरकारी कर्मचारियों द्वारा जब भी जहाँ भी आम आदमी को लूटने का मौका मिल रहा है वह दुगने वेग से लूट रहा है।हां इतना अवश्य ही फर्क पड़ा है कि आम आदमी की कहीं भी सुनवाई नहीं है वह सरकार व इन सरकारी कर्मचारियों के बीच पिस कर कराहता भर रह गया है।