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अजय भाटिया
चोपन में अब रजिस्टर्ड डाक से पहुंच रही है नोटिसें , प्रीत नगर क्षेत्र में रेलवे से भूमि विवाद का मामला ।
चोपन । सोनभद्र। स्थानीय प्रीत नगर क्षेत्र के सैकड़ों रह वासियों को पूर्व रेलवे अब पंजीकृत डाक से नोटिस भेजकर जमीने खाली करने को कह रहा है। नोटिसें मिलने से स्थानीय निवासियों में आक्रोश एवं हड़कंप मचा है।
मिली जानकारी के अनुसार पांच – छह दशक बाद रेलवे को अब यहां अपनी जमीनों की सुध आई है और अब वह 1960-70 के दशक में खरीदी गई जमीनों को तलाशने की कवायद में जुटा है। विकास के दौर में रेलवे यहां विस्तारीकरण की कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाना चाहता है इनका कार्य प्रगति पर है लेकिन विकास के लिए भूमि की कमी आड़े आ रही है। कागजों पर तो रेलवे के पास पर्याप्त जमीने भी हैं लेकिन मौके पर तस्वीर कुछ और ही है।
प्रीतनगर क्षेत्र में पिछले कई दशकों से रह रहे रहवासियों ने अपने जीवन भर के कमाई जोड़ अपने मकान बना रखे हैं जिसमें सैकड़ों परिवार रह रहे हैं और रोजी रोजगार चला रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी भारी संख्या में लोगों के मकान बने हुए हैं। मुख्य बाजार से प्रीत नगर तक की पूर्व पटरी में इन्हीं जमीनों के अधिकांश हिस्से को रेलवे कागजों में अपना बता रही है। पूर्व में कई बार स्थानीय रेल अधिकारी दल बल के साथ इन्हीं जमीनों को अपना बताते हुए 1962 के अपने नक्शे के मुताबिक मौजूदा रह वासियों को अतिक्रमण कारी करार देते हुए उन्हें भूमि खाली करने की नोटिस दे रही है जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
जानकार बताते हैं कि वर्तमान में रेलवे के कागजातों और राजस्व विभाग के भू अभिलेख कागजातों में भारी अंतर है। रेलवे के जिन कागजातों में यहां रेल भूमि है, वहीं राजस्व विभाग के भू अभिलेखों में रहवासियों की रजिस्ट्री शुदा जमीने है। रहवासी अपनी जमीने किसी भी हालात में छोड़ने को तैयार नहीं है। कई बार मयफोर्स दल बल के साथ गए रेल अधिकारियों को भारी जन विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा है। अब रेल अधिकारी अपना कानूनी पक्ष मजबूत करते हुए रहवासियों को अवैध अतिक्रमण की नोटिसें पंजीकृत डाक से भेज रहे हैं जो लोगों को मिलनी शुरू हो गई हैं ।
पूरा प्रकरण जिलाधिकारी सोनभद्र के साथ ही शासन प्रशासन के संज्ञान में भी है। यदि अभी समय रहते इसे गंभीरता से लेकर इसका समाधान न किया गया तो भविष्य में उंभा कांड की पुनरावृति से इनकार नहीं किया जा सकता।