अजय भाटिया
चोपन । सोनभद्र। प्रीतनगर क्षेत्र में रेलवे अतिक्रमण हटाए जाने की कोई भी कार्यवाही करने से पहले राजस्व विभाग के भू अभिलेखों में अपने अभिलेख दुरुस्त कराएं और फिर रेलवे एवं राजस्व विभाग के संयुक्त टीम रेलवे की अधिग्रहित भूमि पर काबिज व अतिक्रमण भूमि के सत्यापन की कार्रवाई पूरी करे । इसके बाद ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर कार्यवाही शुरू की जाए।
यह कहना है चोपन उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष एवं समाजसेवी सन्जय जैन का। सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए श्री जैन ने रेलवे के आला अफसरों से कई बार पत्र व्यवहार किया है ।
जिसके आधार पर मिले जवाब का हवाला देते हुए श्री जैन ने कहा कि रेलवे स्वयं यह मानती है की 1959 से 1963 के बीच विविध गजट नोटिफिकेशन द्वारा 100.52 एकड़ भूमि रेलवे ने अधिगृहित की है लेकिन अभी तक पूरी भूमि पर रेलवे के पक्ष में पूर्णरूपेण म्यूटेशन नहीं हुआ।
राजस्व विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि चोपन में स्थानीय निवासियों का रेलवे से भूमि विवाद चल रहा है।
रेलवे के अधिकारी 1963 के जिस नक्शे के आधार पर पीपीई एक्ट 1971 के अनुसार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के बात कर रहे हैं वह रेलवे भूमि पर लागू होता है ना कि विवादित भूमि पर। राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार 1963 के बाद चोपन में दो बार सर्वे सेटलमेंट की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है।
मौजूदा समय में रेलवे जिस भूमि पर अपना दावा कर रही है राजस्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार उसमें तमाम लोगों की रजिस्ट्रीशुदा जमीने हैं जिस पर अब भवन बन चुके हैं। सैकड़ों लोगों को राज्य सरकार के अधिकारियों के सत्यापन के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी आवास दिए गए हैं।
अगर भूमि विवाद है तो कार्रवाई से पहले उसका निदान किया जाना चाहिए। भू राजस्व अभिलेखों मैं नाम दर्ज नागरिकों ने स्वयं तो नहीं किए? राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा जांच परख के राजस्व शुल्क प्राप्त कर रजिस्ट्री आदि की गई।
नियम कायदे से ली गई रजिस्ट्री सुदा जमीनों पर मकान आदि बनवा कर अब नागरिक अतिक्रमण कारी कैसे हो गये?
अब अतिक्रमण के नाम पर लोगों को को घर से बेदखल ना किए जाने की मांग करते हुए श्री जैन ने प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायती पत्र भेजकर न्यायोचित कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया है।