कोरोना की दूसरी लहर में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने कोरोना से अपनी जान गंवाई थी लेकिन लगता है न तो नेताओं ने इससे कोई सबक लिया और न ही प्रशासन ने।हालिया सम्पन्न ब्लाक प्रमुख के नामांकन के दौरान जिस तरह से सड़कों पर एक बार फिर लापरवाही देखी जा रही है उससे साफ हो गया कि शासन से छूट मिलते ही हर कोई अपनी मनमानी करने लगा है ।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि लापरवाही आम आदमी करता है तो उसका चालान काट दिया जाता है लेकिन जब नेता करता है तो उसे अनदेखा कर दिया जाता है । दुद्धी तहसील के म्योरपुर व दुद्धी में जिस तरह से सत्ताधारी दल के नेताओं ने खुल कर कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाई वह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है ।सरकारने कोविड को लेकर जो नई गाइडलाइन जारी की है उसमें लोगों के लिए थोड़ी राहत अवश्य दी गयी है लेकिन उसमें कहीं भी कोविड खत्म होने की बात नहीं कही है परन्तु जिस तरह से नेताओं द्वारा जीत की खुशी में बिना कोरोना के गाइडलाइन का पालन किये जुलूस निकाला जा रहा है उससे महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।
सत्ता के नशे में मदहोश नेतागण शायद यह भूल गए हैं कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि अभी तीसरी लहर आनी बाकी है । यही वजह है कि ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में सत्ताधारी दल और उसके सहयोगियों द्वारा जिस तरह से सत्ता के बल पर प्रमुख पद के प्रत्याशियों को निर्विरोध करा कर जो जीत का प्रदर्शन खुलेआम सड़क पर बिना कोरोना प्रोटोकॉल के हो रहा है उसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
अभी कुछ दिन पहले ही जिस तरह से कोरोना महामारी ने कोहराम मचा रखा था और जिस प्रकार लोगों में दहशत का माहौल था यदि लोग इसी तरह बेपरवाह होते चले गए तो निश्चित तौर पर संभावित तीसरी लहर के आने में देर नहीं लगेगी और उसमें जनता को फिर भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे दुद्धी व म्योरपुर ब्लाक प्रमुख पद पर भाजपा व उसके सहयोगी अपनादल प्रत्याशी के निर्विरोध होने पर जीत की खुशी में मदमस्त नेता बिना मास्क के घूम रहे हैं । न चेहरे पर मास्क है और न सोशल डिस्टेंसिंग , यानी कोविड नियमों की खुली धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और प्रशासन मूक दर्शक बना इन्हें निहार रहा है।वैसे जीत की खुशी में सत्ताधारियों का प्रशासन के सामने खुले आम नंगा नाच करना कोई नई बात नहीं है परंतु इस समय जबकि कोरोना नामक रहस्यमय बीमारी से लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं उस समय सत्ता धारी दल की समाज के प्रति जिम्मेदारी बढ़ जाती है परंतु यहाँ तो इन्हीं के द्वारा सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं ऐसे में लगता है जनता तो भगवान भरोसे ही है।