Friday, April 19, 2024
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सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैये से भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है मछुआ समुदाय-हिमांचल साहनी

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सोनभद्र ।अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया । इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी भी की । सभा को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष हिमांचल साहनी ने कहा कि निषाद अथवा मछुआ समुदाय का परम्परागत पेशा मत्स्य पालन , नौका फेरी , बालू मौरंग खनन आदि है परन्तु वर्तमान समय में मछुवा समुदाय अपने परम्परागत पेशों से वंचित हो बेकारी व भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण ही मछुआ समुदाय को अपने परम्परागत पेशे से वंचित होना पड़ा है।

इतना ही नहीं सरकार के ढुलमुल रवैया अपनाने तथा मछुआ समुदाय के प्रति सौतेले व्यवहार के कारण ही पिछड़े वर्ग के लिए सर्वप्रथम 1978 में आरक्षण की व्यवस्था होने पर मछुआ समुदाय की जाति मझयार की पर्यायवाची माझी , मल्लाह , केवट , राजगोड़ आदि , गोड़ की पर्यायवाची गोड़िया , धुरिया , कहार , रायकवार , बाथम , धीमर , राजगौड़ आदि तुरेहा की समनामी धीवर , धीमर , तुरहा , तुराहा आदि , पासी तडमाली की पर्यायवाची भर, राजभर आदि जातियों को पिछड़ा वर्ग में अंकित कर दिए जाने के कारण इन जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ मिलने से वंचित होना पड़ा।मछुआ समुदाय की इन जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण – पत्र मिलने में दिक्फत उत्पन्न हो गयी ।आपको बताते चलें कि चूंकि अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी प्रकार के संसोधन का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है । जब सेन्सस -1961 में मांझी , मल्लाह , केवट को मझवार का पर्यायवाची व वंशानुगत जाति मान लिया गया था तो 1978 में इन्हें अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किया जाना असंवैधानिक कदम था ।

हमारी मांग जायज व संबैधानिक है इसलिए वर्तमान सरकार केंद्र की सरकार को प्रस्ताव देकर संविधान संशोधन के माध्यम से मछुआ समुदाय की सभी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के बाबत शासनादेश जारी कराने की प्रक्रिया को पूर्ण कराये ।हमारी मांग यह भी है कि हमारे परम्परागत पेशे को संरक्षण देने के लिए यूपी सरकार के 1994-95 के शासनादेश को बहाल कर बालू , मौरंग खनन , मत्स्य पालन पट्टा निषाद / मछुआरा समाज की जातियों व उनकी मत्स्य जीवी सहकारी समितियों को देने का शासनादेश जारी किया जाए । केन्द्र सरकार के मछुआ आवास योजना के तहत हर जिले में एक – एक हजार मछुआ आवास बनाकर आवास विहिन गरीब मछुआरों को आवंटित किया जाय । मत्स्य विभाग में निषाद , मछुआ समुदाय के लोगों को शैक्षिक शिथिलता देते हुए पूर्व की भांति 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित किया जाय । मत्स्य विभाग में मछुआ पद के साथ – साथ सिंचाई विभाग व लोक निर्माण विभाग में बेलदार , कहार , मल्लाह के पद पर निषाद , मल्लाह , केवट , बिन्द , बेलदार , धीवर , कहार , मांझी जाति को शत प्रतिशत प्राथमिकता दी जाय ।प्रदर्शन के इस मौके पर कृष्णकांत पांडे , इमरान खान , दयाशंकर , सदाफल , रमाशंकर निषाद , राजेंद्र प्रसाद , त्रिलोकीनाथ निषाद , विकास , दिलीप , मितिनारायण , राहुल साहनी , संजय साहनी , मुकेश , रविंद्र , अशोक , जमुना निषाद , राजेंद्र साहनी , वीरेंद्र निषाद , अनिल निषाद , गिरजा आदि मौजूद रहे ।

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