सोनभद्र।बिगड़ती कानून व्यवस्था, बढ़ती मंहगाई व महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध, अभी हालिया सम्पन्न जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख के चुनाव में समाजवादी पार्टी के पुलिसिया दमन व उनपर लादे गए फर्जी मुकदमों आदि मसलों को लेकर गुरुवार को राज्य के सभी तहसील मुख्यालयों पर आयोजित होने वाले प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस रात से ही जी-तोड़ कोशिश करती रही। कई को घर में ही नजरबंद कर पुलिस का पहरा लगा दिया गया तो कई को घर से बाहर निकलतने से ही रोक दिया गया ।सपा के जो लोग किसी तरह घरों से बाहर निकल भी गए थे उनको रोककर थाने पर बिठा लिया गया। फिर भी सपा के लोग दूसरे रास्तों से तहसील मुख्यालय पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं और पुलिस उन्हें ढूंढ़कर रोकने में लगी हुई है ,लगता है कि अभी कुछ समय तक सपा के नेताओं व पुलिस के बीच इसी तरह का चूहे बिल्ली का खेल चलता रहेगा।
जिस तरह से जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख चुनाव से लेकर अब तक सपा को रोकने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा पुलिसिया तंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है वह लोकतंत्र के लिये एक खतरनाक संकेत है। बृहस्पतिवार को सपा का 16 सूत्री मांगों को लेकर तहसीलों पर प्रदर्शन और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपने की योजना मूर्त रूप न लेने पाए, इसके लिए धारा 144 का हवाला देकर पुलिस बुधवार देर रात से ही सक्रिय हो गई। प्रमुख सपा नेता कहां हैं? किसके साथ हैं? प्रदर्शन को लेकर उनकी रणनीति क्या है? इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश के साथ ही बृहस्पतिवार को पौ फटते ही पुलिस द्वारा जिस तरह प्रमुख सपा नेताओं के घर पर पुलिस का पहरा बिठाने का काम शुरू किया गया उससे तो लगता है कि वर्तमान सरकार लोगों से अपना शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का हक भी छीन लेना चाहती है।
राबर्टसगज में पूर्व विधायक राबर्ट्सगंज अविनाश कुशवाहा और पूर्व विधायक घोरावल रमेश चंद्र दुबे के घर पर पुलिस की मौजूदगी सुबह से ही दिखने लगी। सुबह जब रमेश चंद्र दुबे घर से बाहर निकले तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया वह नजरबंद किए जाने का आरोप लगाते रहे।
वहीं पुलिस शांति व्यवस्था का हवाला देती रही। उधर ओबरा में जिलाध्यक्ष विजय यादव, बिजौरा में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, अनपरा में पूर्व जिलाध्यक्ष संजय यादव सहित अन्य सपा नेताओं के दरवाजे पर पुलिस ने रात से ही पहरा लगा दिया।
इतना ही नहीं जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस ,प्रमुख सपा नेताओं के घर पर पहरा बिठाने के साथ ही, घर से बाहर निकल चुके सपा नेताओं को तलाशने और उन्हें रोककर थाने में बिठाने में लगी रही। सपा नेताओं कहना था कि वह शांतिपूर्ण तरीके से मांगों को लेकर ज्ञापन देने जाना चाह रहे हैं लेकिन पुलिस उन्हें रोककर लोकतंत्र का हनन कर रही है। सपा के लोगों कांग्रेस के आपातकाल के बाद पहली बार इस तरह की स्थिति दिखने का आरोप भी लगाया। कहा कि जनता 2022 के विधानसभा चुनाव में इसका जवाब जरूर देगी।