Saturday, April 20, 2024
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आखिर क्यूँ ताले में कैद हैं सोनभद्र के सामुदायिक शौचालय

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अधूरे सामुदायिक शौचालयों के रख रखाव के लिए शासनादेश की अवहेलना कर निकला धन,आखिर उसका क्या है उपयोग

सोनभद्र। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है तभी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चला कर पूरे देश मे शौचालय निर्माण की मुहिम छेड़ दी है।प्रधानमंत्री की मुहिम रंग लाई जिसका परिणाम यह रहा कि गांव गांव स्वच्छता मिशन के तहत हर घर मे शौचालय निर्माण कराया गया और लोगों को इसके उपयोग करने के लिए प्रेरित भी किया गया। मोदी जी द्वारा छेड़े गए इस स्वच्छ भारत अभियान का ही परिणाम रहा कि लोग अब स्वच्छता के प्रति जागरूक हो गए हैं और अब भारत में यह एक आंदोलन का रूप ले चुका है। स्वच्छता अभियान के अगले चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर ग्रामपंचायत में एक सामुदायिक शौचालय निर्माण करने के लिए मुहिम चलाई।इसी के तहत सोनभद्र जिले में भी लगभग 629 ग्रामपंचायत में 644सामुदायिक शौचालय बनाये गए। परन्तु इन 644 निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालयों में से अब तक केवल 112 सामुदायिक शौचालय ही क्रियाशील हो सके हैं ।

लोढ़ी में सामुदायिक शौचालय के रख रखाव पर समूह को दिया गया धन
ताले में कैद लोढ़ी का सामुदायिक शौचालय

पहले की सरकारों में निर्मित सामुदायिक शौचालय के रख रखाव की व्यवस्था न होने के कारण इनके उपयोगी नहीं साबित होने की वजहों से सबक लेते हुए भाजपा की सरकार ने इन सामुदायिक शौचालयों के रख रखाव हेतु ग्रामपंचायत में गठित महिला समूह को 9000 हजार रुपये महीना देने के लिए एक शासनादेश जारी किया।उक्त शासनादेश में यह प्राविधान किया गया कि जब सामुदायिक शौचालय बन कर तैयार हो जाता है और उसके बाद जब वह ग्राम पंचायतों को हैन्डोभर हो जाय तो उसके रख रखाव की रकम महिला समूह को दी जाय।परन्तु सोनभद्र में तो लगता है कि जैसे सरकार का शासनादेश लागू ही नहीं होता।यहां अधिकारियों की अपनी ही मर्ज़ी से रथ हाँका जा रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक अभी सोनभद्र जिले में 90 प्रतिशत सामुदायिक शौचालय पूरी तरह से तैयार नहीं हो सके हैं मिली जानकारी के मुताबिक केवल 112 सामुदायिक शौचालय ही वास्तविक रूप से क्रियाशील हैं परंतु उन अधूरे सामुदायिक शौचालयों पर भी रख रखाव हेतु अग्रिम रूप से लगभग सभी ग्रामपंचायत में तीन तीन महीने का एडवांस में 27000 रुपये महिला समुहों को दे दिए गए हैं।बातचीत में जिलापंचायत राज अधिकारी ने बताया कि ऊपर से बहुत दबाव था हम लोग क्या करे।उसी दबाव में पैसा ट्रांसफर कर दिया गया।इससे एक बात तो साफ है कि फाइलों में सब कुछ ओके दिखाने के चक्कर में शासनादेश के विपरीत अधूरे सामुदायिक शौचालयों के रख रखाव के लिए महिला समुहों को तीन महीने के लिए 27000 रुपये देकर जहाँ अधिकारी फाइलों में सब कुछ ओके दिखाकर जो कार्य कर रहे हैं जमीनी हकीकत उससे परे है।

यहां एक बात यह भी है कि अधिकारियों द्वारा फाइलों में सब कुछ ओके करने के चक्कर में जहां एक तरफ सरकार के सपने अधूरे रह जाएंगे वही दूसरी तरफ लोगो को मिलने वाले लाभ से भी वंचित होना पड़ेगा।अधिकारियों का इस प्रकार का कार्य ही यह साबित करने के लिए काफी है सरकार चाहे जिसकी हो इनके कार्यशैली पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। जहाँ एक तरफ योगी जी पूरी शिद्दत के साथ मोदी जी के स्वच्छता अभियान में अपनी ताकत झोंक दी है वहीं उनके ही अधिकारी केवल फाइलों में सब कुछ ओके करने के चक्कर में उनके मेहनत पर पानी फेरने पर उतारू हैं।

परासी में निर्मित अधूरा सामुदायिक शौचालय
परासी के अधूरे सामुदायिक शौचालय के रख रखाव पर व्यय किया गया धन

विंध्यलीडर की एक टीम जब कुछ गाँवो की हकीकत जानने के लिये गांव में गयी तो पता चला कि सामुदायिक शौचालय अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है उसे आगे से बना कर रंग पेंट कर यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि जैसे वह बन कर तैयार हो परन्तु वह उपयोग लायक नहीं है।जैसे जिला मुख्यालय से सटी ग्रामपंचायत पेत्राही के राजस्व गांव सिधोरा में निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालय में ताला बंद मिला।वहाँ के ग्रामीणों ने बताया कि अभी यह तैयार नहीं है।वहीं ग्रामपंचायत लोढ़ी में बने सामुदायिक शौचालय में भी ताला लटकता मिला।वहाँ कार्य कर रहे कुछ मजदूरों ने बताया कि इसकी चाभी स्कूल के अध्यापक के पास रहती है।जब सामुदायिक शौचालय गांव की जनता के लिए है और उसके रख रखाव की जिम्मेदारी गांव की महिला समूह की है तो चाभी स्कूल के अध्यापक के पास रहने का औचित्य क्या है यह समझ से परे है।

सेंधुरी में अधूरे सामुदायिक शौचालय के रख रखाव के लिए दिया गया धन

यहाँ यह बात भी विचारणीय है कि उक्त ग्रामपंचायत में सामुदायिक शौचालय के रख रखाव हेतु महिला समूह को पैसा भी दिया जा चुका है ऐसे में उसकी चाभी स्कूल के अध्यापक के पास होने का मतलब साफ है कि वह जिस मकसद के लिए निर्मित किया गया है वह मकसद हासिल नहीं कर रहा।इसी तरह मुठेर ग्रामपंचायत के सामुदायिक शौचालय का अभी तक टैंक नहीं बना है परंतु उसके रख रखाव हेतु पैसा महिला समूह को दिया जा चुका है।

सेंधुरी का अधूरा सामुदायिक शौचालय

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