-सोनभद्र के राजनीतिक परिदृश्य में अपनादल की मजबूत दस्तक
-शीर्ष नेतृत्व के फैसले से बीजेपी खेमें में मायूसी
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सोनभद्र । जिले में आज जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम बदला , इसकी उम्मीद शायद ही जिले के धुरंधर नेता को रही हो । जैसे ही यह खबर मीडिया में आई कि सोनभद्र जिला पंचायत के अध्यक्ष की सीट एनडीए के घटक दल अपना दल ( एस ) के खाते में जा रही है , बीजेपी के खेमे में हड़कम्प मच गया । बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता पार्टी की मजबूत दावेदार माने जाने वाली प्रत्याशी रितु सिंह के कार्यालय पहुंच गए । किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें । अब तक भाजपा की तरफ से जिस तरह के संकेत मिल रहे थे उस हिसाब से रितु सिंह का टिकट लगभग फाइनल माना जा रहा था , तभी तो रितु सिंह ने चार सेटों में पर्चा भी खरीद लिया था । लेकिन आज जिस तरह से समीकरण बदला उससे एक बात तो साफ हो गया कि सोनभद्र में अपना दल ( एस ) ने अपनी जड़ें बेहद मजबूत कर ली हैं ।उधर खबर मिलते ही अपना दल ( एस ) कार्यालय में भी हलचल तेज हो गयी और बैठक का दौर भी शुरू हो गया ।आनन फानन में शीर्ष नेतृत्व को चार नाम भेज दिये गए,यहां तक कि राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे गए चुनाव प्रभारी के जिले में आने का जिला इकाई द्वारा इंतजार भी नहीं किया गया सम्भवतः यही वजह है कि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं हों पा रही है क्योंकि जिला इकाई द्वारा जिनके नाम भेजे गए हैं सम्भवतः राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर में वह जिताऊ प्रत्याशी नहीं हैं और शायद यही वजह है कि नाम की घोषणा से पूर्व सम्भावित सभी नामों को ठोक बजाकर उनके जितने की सम्भावना पर मंथन के बाद ही अपनादल अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करेगा। अपनादल की जिला इकाई द्वारा सुझाये गए नामों में प्रमुख रूप से मोहन कुशवाहा का नाम चर्चा में इसलिए है क्योंकि पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने की वजह से उन्हें भाजपा से निष्काषित किया गया था । हालांकि आज ही मोहन कुशवाहा ने अपना दल ( एस ) का दामन थामा है । हालांकि अभी भी अपनादल द्वारा सभी पहलुओं पर गहराई से मंथन किया जा रहा है ।सूत्रों की माने तो ऊपर भेजे गए चारों नामों से शीर्ष नेतृत्व संतुष्ट नहीं है । सूत्रों की माने तो बदलते घटनाक्रम में बीजेपी खेमे के कई लोग अपना दल ( एस ) के सम्पर्क में आने लगे हैं । सूत्रों की माने तो अध्यक्ष पद के लिए फिर चौंकाने वाले ट्विस्ट आ सकते हैं तभी तो कहा जा रहा है कि आज की रात बेहद अहम है ।अध्यक्ष का नामअपनादल की चल रही हाई लेवल की बैठक में ही फाइनल होना है लेकिन उन्हें ऐसा चेहरा चाहिए जो सभी तरीके से मजबूती से लड़े । बीजेपी भी समझ रही है कि वह बहुत बड़ा रिस्क गेम खेल रही है । अपनों को नाराज कर यदि वह अपना दल ( एस ) के साथ है तो सीट हर हाल में निकलनी चाहिए , वरना वह न घर की रहेगी और न घाट की । यहाँ एज बड़ा सवाल यह भी हैकि यदि दोनों पार्टी को बाद में एक होकर अध्यक्ष चुनना था तो पंचायत चुनाव में अलग – अलग लड़ने की जरूरत ही क्या थी ? क्या भाजपा का यह समझौता 2022 विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले गठबंधन को दर्शाता है ? क्योंकि जिस तरह से अपना दल ( एस ) के बीजेपी से नाराज चलने की खबर आ रही थी तो क्या यह माना जाय कि यह समझौता उसी नाराजगी को खत्म करने की कोशिश है । बहरहाल आज रात स्थानीय नेताओं के लिए बेहद अहम है । उम्मीद है कि आज रात अपनादल अपना अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित कर देगा ।