यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक रहे अरुण कुमार मिश्रा 1988 से लेकर अब तक 6 बार निलंबित किये जा चुके है.
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लखनऊ । उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. जिसके तहत भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरे उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रधान महाप्रबंधक रहे अरुण कुमार मिश्रा को भी जबरन रिटायर (अनिवार्य सेवानिवृत्त) कर दिया गया है. हालांकि अरुण कुमार मिश्रा को भ्रष्टाचार के मामले में पहले ही निलंबित करने के साथ कई गांभीर धाराए लगाकर जेल भेजा जा चुका है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के प्रधान महाप्रबंधक रहे अरुण कुमार मिश्रा पर भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामले दर्ज है. जहां अरुण कुमार मिश्रा पर फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने का आरोप है. तो वहीं दूसरी तरफ अरुण पर महंगे प्लाटों को सस्ते दर पर बेचकर करीब 152 करोड़ रूपये से अधिक के सरकारी राजस्व की चपत लगने का भी आरोप है.
जिसके चलते अरूण कुमार मिश्रा को योगी सरकार द्वारा पहले ही निलंबित करके जेल भेजा जा चुका है. अब अरुण कुमार मिश्रा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर उन्हे जबरन रिटायर भी कर दिया गया है.यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक रहे अरुण कुमार मिश्रा 1988 से लेकर अबतक 6 बार निलंबित किये जा चुके है.
बता दें कि वर्ष 2007 में कैग की एक जांच रिपोर्ट में ट्रोनिका सिटी में प्लाट आवंटन को लेकर अरुण मिश्रा का बड़ा खेल सामने आया. यहां 96,600 वर्ग मीटर ग्रुप हाउसिंग और 76,640 वर्ग मीटर कॉमर्शियल के प्लाट आवंटित हुए थे. ग्रुप हाउसिंग के प्लाटों का मूल्य 12 से 13 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के बीच रखा गया था. लेकिन, अरुण ने इन्हें 3200 से 4475 की दर पर बेच दिया. 15 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के कॉमर्शियल प्लाट 5500 से 11500 तक रुपये में बेच डाले.
कानपुर स्थित गंगा बैराज किनारे बसाई जा रही ट्रांसगंगा सिटी में भी बिना काम के 6 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. इन बिलों पर सहायक अभियंता के हस्ताक्षर भी नहीं हुये थे।