Saturday, April 20, 2024
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आषाढ़ महीने में 17 दिन रहेंगे व्रत-पर्व, जानिए महत्व और प्रभाव

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उषा वैष्णवी

सोनभद्र । आषाढ़ महीने 17 दिन व्रत-त्योहार रहेंगे. जुलाई में हिंदू कैलेंडर का आषाढ़ महीना भी रहेगा. जिसमें स्नान-दान और व्रत-पूजा करने से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं. आषाढ़ महीना 24 जुलाई को खत्म होगा. इसके अगले दिन से सावन का महीना शुरू हो जाएगा. जुलाई में गुप्त नवरात्रि, जगन्नाथ रथयात्रा और गुरु पूर्णिमा जैसे बड़े पर्व होने से इसका महत्व और प्रभाव और भी बढ़ गया है.

पूर्वांचल की जानी मानी ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि आषाढ़ मास में जुलाई में 17 दिन व्रत-त्योहार रहेंगे. 16 दिन खरीददारी के विशेष मुहूर्त और योग रहेंगे. गुप्त नवरात्र जगन्नाथ रथयात्रा देवशयनी एकादशी गुरु पूर्णिमा जैसे बड़े पर्व व व्रत रहेंगे. 5 को योगिनी एकादशी, 7 को प्रदोष व्रत, 8 को शिव चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि व्रत रहेगा. 10 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या के साथ कृष्णपक्ष खत्म हो जाएगा. 11 जुलाई को गुप्त नवरात्र शुरू होंगे. 12 को भगवान जगन्नाथ यात्रा होगी. 13 जुलाई को विनायकी चतुर्थी व्रत, 16 को कर्क संक्रांति 18 को भड़ली नवमी का अबूझ मुहूर्त और 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी याना हरिशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा. 21 को प्रदोष व्रत तथा 23 को गुरु पूर्णिमा होगी. 26 को श्रावण का पहला सोमवार होगा. 28 को नागपंचमी रहेगी.

ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि 31 में से 16 दिन खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए फलदायी रहेंगे. सात दिन सर्वार्थसिद्धि योग, छह दिन रवियोग, दो दिन अमृतसिद्धि, दो कुमार योग व एक द्विपुष्कर योग रहेगा. 11 को रविपुष्य नक्षत्र रहेगा. इन योगों में स्वर्ण आभूषण, भूमि भवन एवं वाहन की खरीदी स्थायी रहेगी. वहीं, पुष्य नक्षत्र योग में सोना-चांदी आभूषण और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम खरीदने का विशेष महत्व रहेगा. 2, 4, 6, 7, 11, 24, 29 को सर्वार्थसिद्धि, राजयोग 11, 23, 25 को रवियोग 13, 15, 19, 20, 23, 29 व 30 को तथा कुमार योग 16 व 28 को रहेगा.

कर्क संक्रांति पर शुरू होता दक्षिणायन
ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि इस महीने कर्क संक्रांति भी होती है. यानी सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश होने के साथ ही दक्षिणायन शुरू हो जाता है. पुराणों में इसे देवताओं की रात का समय कहा गया है. इस महीने देवशयनी एकादशी भी आएगी. यानी इस एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में सो जाते हैं और चार महीने बाद जागते हैं. इसलिए इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. इन दिनों में शुभ काम नहीं किए जाते हैं.

5 जुलाई को पहला और 30 को महीने का आखिरी व्रत
ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि इस महीने में 5 को योगिनी एकादशी, 7 को प्रदोष व्रत, 8 को शिव चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि व्रत रहेगा और 9 को आषाढ़ अमावस्या के साथ कृष्णपक्ष खत्म हो जाएगा. इसके अगले दिन गुप्त नवरात्र शुरू हो जाएंगे. साथ ही शुक्लपक्ष भी रहेगा. इसमें 13 जुलाई को विनायकी चतुर्थी व्रत, 16 को कर्क संक्रांति, 18 को भड़ली नवमी का अबूझ मुहूर्त और 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी रहेगी. इसके बाद प्रदोष, मंगला तेरस और गुरु पूर्णिमा व्रत आएंगे. इस महीने के आखिरी हफ्ते की शुरुआत सावन सोमवार से होगी. उसके अगले दिन मंगला गौरी फिर मौना पंचमी और इसके बाद शीतला सप्तमी पर जुलाई का आखिरी व्रत किया जाएगा.  

आषाढ़ महीने के तीज-त्योहार और पर्व
योगिनी एकादशी: 5 जुलाई को आषाढ़ के कृष्णपक्ष की एकादशी रहेगी. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और योगीराज श्रीकृष्ण की पूजा की भी परंपरा है.

हलहारिणी अमावस्या: ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि 9 जुलाई को आषाढ़ महीने की अमावस्या है. इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस पर्व पर स्नान-दान के साथ पितरों के श्राद्ध करने की परंपरा है साथ ही इस दिन धरती देवी की विशेष पूजा की जाती है.

गुप्त नवरात्र: 11 जुलाई से गुप्त नवरात्र शुरू होंगे. इसमें साधना का विशेष महत्व रहेगा. भक्त तंत्र, मंत्र साधना करेंगे.

रथयात्रा महोत्सव: 12 जुलाई को रथ यात्रा महोत्सव मनाया जाएगा. भगवान जगन्नाथजी की यात्रा का निकलेगी. इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग भी रहेगा.

विनायक चतुर्थी व्रत: 13 जुलाई को गणेश जी के लिए व्रत रखने की तिथि विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी. इस बार ये मंगलवार को होने से अंगारकी चतुर्थी रहेगी.

कर्क संक्रांति: ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि 16 जुलाई को सूर्य मिथुन से निकलकर कर्क में आ जाएगा. इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत भी मानी जाती है. इस पर्व पर स्नान-दान और सूर्य पूजा की परंपरा है.

भड़ली नवमी: 18 जुलाई को भड़ली नवमी रहेगी. राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित कुछ राज्यों में ये तिथि विवाह और सभी मांगलिक कामों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है.

देवशयनी एकादशी: 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. इस संबंध में मान्यता है कि इस तिथि से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं और फिर देवउठनी एकादशी पर जागते हैं. इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे. इन चार माह में मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं.

वामन द्वादशी: ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि 21 जुलाई को भगवान विष्णु के लिए व्रत रखकर वामन अवतार की पूजा की जाती है. भगवान के इस अवतार की कथा पाताल के राजा बलि से जुड़ी है. इसलिए दक्षिण भारत में इस दिन राजा बलि की भी पूजा होती है.

गुरु पूर्णिमा: 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पड़ेगी. इसी तिथि पर आषाढ़ मास खत्म हो जाएगा और 25 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत होगी.

सावन का पहला सोमवार: 26 जुलाई को  भगवान शिव की विशेष पूजा के साथ व्रत-उपवास भी किए जाते हैं. शिव पुराण के मुताबिक सावन का सोमवार भगवान शिव का बहुत प्रिय दिन है.

अंगारक चतुर्थी ज्योतिषाचार्या उषा वैष्णवी ने बताया कि 27 जुलाई को मंगलवार को चतुर्थी तिथि होने से इस दिन अंगारक चतुर्थी की पूजा और व्रत किया जाएगा. इस व्रत से हर तरह की शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं.

मौना पंचमी  28 जुलाई को इस दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा की जाती है. मौना पंचमी के दिन व्रत और पूजा के साथ कथा सुनने से सुहागिन महिलाओं की परेशानियां खत्म हो जाती हैं.

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