सोनभद्र । सांसद ने शासन को पत्र लिखकर सीएमओ पर जिस तरह से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है और सांसद द्वारा लगाए गए आरोप पर सीएमओ ने जिस तरह से चुप्पी साध रखी है उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।एक प्रेस वार्ता के दौरान जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी से सांसद द्वारा स्वास्थ्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर शासन को लिखे पत्र के सम्बंध में सवाल पर अपना पक्ष रखने को कहा गया तो उन्होंने कोई जबाब तक नहीं दिया और चलते बने । जब उनसे पूछा गया कि आखिर जिस भ्रष्टाचार का जिक्र सांसद ने अपने पत्र में किया है , उसमें कितनी सच्चाई है तो सीएमओ ने चुप्पी साध ली । अभी हाल ही के दिनों में स्वास्थ्य विभाग के गोदाम में रखे रखे एक्सपायर हो चुकी डीडीटी पाउडर की खेप पकड़े जाने व जांच में पुष्ट होने के बावजूद अब तक उनके द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने का कारण पूछा गया तो भी सीएमओ चुप नजर आए ।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या वे सांसद के खिलाफ नहीं जाना चाहते या फिर सांसद के शिकायत का उनके पास कोई जबाब नहीं है । ऐसा नहीं है कि सांसद ने ही सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की पोल खोली है । इसके पहले भी मीडिया कर्मियों ने भी कई बार कमियां पकड़ी व गिनाई लेकिन सीएमओ हर बार या तो सवाल टाल गए या फिर कोई कार्यवाही से बचते नजर आए।जिले में जिस तरह से क्लिनिक चलाने वालों का शोषण हो रहा है और जांच के नाम पर उनसे गाली – गलौज तक किया जाता है , वह भी सीएमओ के जानकारी में है , शिकायत व सबूत देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती।मुख्य चिकित्सा अधिकारी की चुप्पी से जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है जिसका सीधा असर जनपद के गरीब आदिवासी जनता पर पड़ रहा है।इन्ही सारी समस्याओं को लेकर आज सपा कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट परिसर पहुँच प्रदर्शन कर जिलाधिकारी से मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही किया जाए। फिलहाल तमाम दुर्व्यवस्थाओं के बावजूद सीएमओ की यह चुप्पी यदि यह साबित करने में लगी है कि सब कुछ ठीक ठाक है और वे ऐसे ही विकास की गंगा बहाते रहेंगे तो उन्हें यह भी समझना होगा कि यदि समय रहते भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगा सके तो कभी भी बड़ा विस्फोट हो सकता है । अब तो समय ही बताएगा कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में जब एक सांसद सीधे तौर पर किसी विभाग या अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा हो तब क्या कार्यवाही होती है?