Friday, March 29, 2024
Homeधर्मयोगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने...

योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान फल की प्राप्ति होती है

-

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल 5 जुलाई को है यह एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान फल की प्राप्ति होती है और व्रती को मनुष्य को बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य प्रशांत भारद्वाज से किस दिन रखा जाएगा योगिनी एकादशी का व्रत और क्या रहेगा शुभ मुहूर्त और तिथि

योगिनी एकादशी का महत्व:

ज्योतिषाचार्य प्रशांत भारद्वाज के अनुसार, योगिनी एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण एकादशी होती है. क्योंकि इसके बाद ही देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु अगले 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद से कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. दो महत्वपूर्ण एकादशी निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच योगिनी एकादशी आती है. इस बार योगिनी एकादशी 5 जुलाई 2021 दिन सोमवार को मनाई जाएगी.

योगिनी एकादशी शुभ मुहुर्त:

योगिनी एकादशी व्रत- 5 जुलाई 2021, दिन सोमवार
एकादशी तिथि प्रारंभ- 4 जुलाई 2021, शाम 7 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 5 जुलाई 2021, 10 बजकर 30 मिनट तक
व्रत पारण का समय- 6 जुलाई 2021, सुबह 5 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक

योगिनी एकादशी ऐसे करें पूजा

स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनने के पश्चात घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
भगवान को फूल, फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं।
पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
पंचामृत बनाएं और पूजा में रखें।
पीपल के पेड़ की पूजा करें।
एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।
इस दिन दान करना शुभ माना जाता है

योगिनी एकादशी भगवान विष्णु मंत्र
1.ॐ नमोः नारायणाय॥

  1. श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
    ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
  2. श्री विष्णु गायत्री मंत्र
    ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
  3. विष्णु शान्ताकारं मंत्र
    शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
    विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
    लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
    वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
  4. मंगल श्री विष्णु मंत्र
    मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

सम्बन्धित पोस्ट

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

error: Content is protected !!