पूरे देश में 21 जुलाई को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. रविवार को मरकजी चांद कमेटी फिरंगी महल और शिया चांद कमेटी ने चांद नज़र आने के बाद इसका एलान किया है.
लखनऊ: मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा पर्व ईद उल अजहा यानी कि बकरीद का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा. रविवार को मरकजी चांद कमेटी फिरंगी महल और शिया चांद कमेटी ने चांद नज़र आने की तस्दीक के साथ कुर्बानी का त्योहार बकरीद की तारीख का ऐलान कर दिया है.
ईद उल फितर के बाद मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे ज़्यादा महत्व रखने वाला पर्व बकरीद अगले बुधवार (21 जुलाई) को देश भर में मनाया जाएगा. बकरीद यानी कि ईद उल अजहा को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है. इस दिन हर साहिबे हैसियत (जिसके पास इतना पैसा हो जो जानवर कुर्बान कर सकें) बकरे या दुंबे की कुर्बानी करता है और गरीबों को उसका हिस्सा बांटता है.
जानकारी देते धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीदकोरोना महामारी के चलते इस वर्ष ईद उल अजहा पर भी गहरा असर पड़ने वाला है. हर वर्ष बकरीद से हफ्तों पहले ही बकरा मंडिया सज जाती हैं. इन बकरा मंडियों में किसान और जानवर के व्यापारी गांव से बकरे लेकर शहर में अच्छी कीमत पाने के लिए आते हैं.
इन मंडियों में 5 हज़ार से लेकर 5 लाख रुपये तक बकरे और भेड़ें मिलती हैं. जिनको खरीदने लोग दूर दराज से आते हैं, लेकिन इस वर्ष चांद नजर आने के बावजूद भी कोरोना के चलते अब-तक बकरा मंडिया नहीं लगी हैं, जिससे किसान और जानवर के व्यापारियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.