उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘दो बच्चों की नीति’ लागू किए जाने को लेकर बहस शुरू हो गई है. असम की बीजेपी सरकार ऐसी नीति को लागू कर चुकी है.
लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार की राय है कि प्रस्तावित मसौदे का हर कोई स्वागत करेगा. वहीं विपक्ष ने इसे चुनाव के पहले लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है.
राज्य के विधि आयोग ने चर्चा में आए “उत्तर प्रदेश पॉपुलेशन (कंट्रोल, स्टैबिलाइज़ेशन एंड वेलफ़ेयर) बिल” का मसौदा तैयार किया है.
मसौदे में इस बात की सिफ़ारिश की गई है कि ‘दो बच्चों की नीति’ का उल्लंघन करने वालों को स्थानीय निकाय के चुनाव में हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं हो.
उनके सरकारी नौकरी में आवेदन करने और प्रमोशन पाने पर रोक लगाई जाए. उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली किसी भी सब्सिडी का लाभ नहीं मिले ।
आयोग ने जो ड्राफ़्ट तैयार किया है, उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और लोगों से कहा गया है कि वो 19 जुलाई तक इस पर अपनी राय रखें. अपने सुझाव भी दें.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि इस नीति को तैयार करने का मक़सद है कि उत्तर प्रदेश का ‘सर्वांगीण विकास हो.’
उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला राज्य है.
बिल में क्या है प्रस्ताव?
बिल में कहा गया है कि राज्य के सतत विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण ज़रूरी है.
बिल के मसौदे में जनसंख्या नीति पर अमल करने वालों को इंसेटिव (अतिरिक्त सुविधाएं) देने की सिफ़ारिश की गई है.
एक समाचार एजेंसी ने बताया है कि मसौदे में कहा गया है, “दो बच्चों के नियम का पालन करने वाले सरकारी कर्मचारियों को सेवा काल के दौरान दो अतिरिक्त इनक्रीमेंट (वेतन वृद्धि) मिलेंगे. मां या पिता बनने पर पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने की छुट्टी मिलेगी. नेशनल पेंशन स्कीम के तहत नियोक्ता के अंशदान में तीन फ़ीसदी का इजाफा होगा.”
अधिनियम का पालन कराने के लिए ‘पॉपुलेशन फंड’ बनाया जाएगा. प्रस्तावित मसौदे में राज्य सरकार के कर्तव्यों का भी ज़िक्र किया गया है. इसके मुताबिक सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसूति केंद्र बनाए जाएंगे. परिवार नियोजन का प्रचार किया जाएगा और ये तय किया जाएगा कि पूरे राज्य में गर्भधारण करने, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य रूप से हो.
मसौदे में कहा गया है, “उत्तर प्रदेश में पारिस्थितिकी और आर्थिक संसाधनों की मौजूदगी सीमित है. सभी नागरिकों को मानवजीवन की मूलभूत आवश्यकताओँ भोजन, साफ़ पानी, अच्छा घर, गुणवत्ता वाली शिक्षा, जीवन यापन के अवसर और घर में बिजली की मिलनी चाहिए. “
राजनीतिक दलों ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति के मसौदे को सही दिशा में बढ़ाया गया क़दम बताया है.
उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “मुझे लगता है कि सब इसका स्वागत करेंगे. राजनीति के लिए कोई विरोध भले ही करे.”
वहीं, प्रदेश सरकार के मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा कि ये प्रयास जनता के हित के लिए है.
उन्होंने कहा, ” मसौदे पर जनता से सुझाव मांगा गया है. जब ये 19 जुलाई के बाद सरकार के पास आएगा तो हम क़ानून लाएंगे.”
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया ने कहा, “बढ़ती जनसंख्या देश के लिए समस्या है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन बीजेपी की सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया. अब चुनाव आ गया है तो असर मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए मार्केटिंग इवेंट किया जा रहा है.”
वहीं, कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने भी कहा है कि ये मुद्दा चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है.