डाला । खनन हादसे के मामले को दबाने में पुलिस – प्रशासन कैसे काम करती है उसकी बानगी बुधवार को देखने को मिली जब कल शाम डाला स्थित एक खदान में झब्लिंग करते समय ऊपर से पत्थर गिरने एक घायल एक श्रमिक की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गयी । घटना के बाद खनन इलाके में हड़कम्प मच गया । परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद न तो डाला पुलिस का सहयोग मिला और न चोपन का , देर रात तक वे तहरीर लेकर घूमते रहे लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं थाघटना के बाद खनन इलाके में हड़कम्प मच गया । परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद न तो डाला पुलिस का सहयोग मिला और न चोपन का , देर रात तक वे तहरीर लेकर घूमते रहे लेकिन कोई इनकी तहरीर लेने को तैयार नहीं था।मिली जानकारी के मुताबिक मृतक पारस गोड़ पुत्र काशी गोड़ 32 वर्ष निवासी पतगढी , थाना चोपन डाला स्थित एक पत्थर खदान में काम कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था । बुधवार शाम भी पारस रोज की तरह अपने साथियों के साथ खदान में झब्लिंग का काम कर रहा था । तभी ऊपर से एक बड़ा पत्थर खिसक कर उसके ऊपर गिर पड़ा , जिससे वह जमीन पर गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हो गया । घटना के बाद खनन इलाके में हड़कम्प मच गया । घायल पारस को आनन – फानन में टीपर से अस्पताल ले जाया गया लेकिन चोपन पहुंचने से पुर्व ही उसने दम तोड़ दिया । घटना की जानकारी मृतक के परिजनों को दिया गया । जिसके बाद घर पर कोहराम मच गया।
मृतक पारस के साथ काम करने वाले मजदूर चंद्रबलि ने बताया कि वह साथ ही काम कर रहा था तभी एक बड़ा पत्थर पारस के ऊपर गिरा जिससे वह लगभग 25 फिट नीचे आ गया । जिसके बाद उसे हम लोग टीपर में लादकर हास्पिटल ले जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गयी ।
वहीं घटना के सम्बंध में पारस गोंड़ के बड़े भाई सुदामा गोड़ ने बताया कि घटना की सूचना हमें फोन से मिला था । जिसके बाद वे घटना की तहरीर देने के लिए डाला गए तो वहां से हमें चोपन थाने भेज दिया गया और जब चोपन थाने पहुंचा तो यह कह कर वापस कर दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद तहरीर ली जाएगी । उसने बताया कि देर रात तक वे सभी परेशान होते रहे लेकिन कोई मदद तो दूर उन गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं था ।
खनन क्षेत्र में इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है यहाँ तो खनन माफियाओं के इसारे पर खनन हादसे में मृतक को सड़क हादसे से मृत्यु में तब्दील कर खनन हादसों पर परदा डालना पुलिस का पुराना खेल है जो बदस्तूर जारी है।सरकारें बदलती रहीं पर यह तरीका नहीं बदला । यहां पत्थर का कारोबार करने वाले व्यवसायी या स्थानीय प्रशासन के लोगों का दिल भी पत्थर के हो जाते हैं । तभी तो घटना के बाद कभी लाशों पर सौदे की खबर आती है तो कभी बेरुखी की और वर्तमान खनन हादसा भी उसी कड़ी का हिस्सा मात्र प्रतीत होता है।