Saturday, April 27, 2024
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जनसंख्या नियंत्रण पर बोले पूर्व केंद्रीय मंत्री, कानून जरूरी नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी पहल का होगा विरोध

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उत्तर प्रदेश के विधि आयोग की ओर से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मसौदा जारी किया गया है. यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के कुछ ही महीनों पहले सामने आई इस कवायद के बाद जनसंख्या नियंत्रण और बच्चों के जन्म से जुड़ी नीति को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि बेतहाशा बढ़ रही जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए कानून नहीं, जागरुकता जरूरी है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाए जाने की पहल का विरोध करेगी.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि देश में सरकारी फायदों और चुनाव लड़ने के मकसद के लिए दो बच्चों संबंधी कानून अनिवार्य रूप से या जबरन लाए जाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार के स्तर पर ऐसी कोई पहल होती है तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी. साथ ही, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बयान का समर्थन किया कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून से ज्यादा कारगर कदम लड़कियों को शिक्षित करना है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का एक मसौदा सामने आने के बाद शुरू हुई बहस को ‘भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा’ करार देते हुए यह भी कहा कि पिछले दो दशक के दौरान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर 28 गैर सरकारी विधेयक संसद में पेश किए गए ताकि इस मुद्दे को जिंदा रखा जा सके.

रविवार को रमेश ने एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि भाजपा के सांसदों और मुख्यमंत्रियों ने नरेंद्र मोदी सरकार के ही उन आंकड़ों को नहीं पढ़ा है, जो 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए थे और जिनमें प्रजनन दर में गिरावट का उल्लेख किया गया था.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का एक मसौदा सामने रखा गया है, जिसमें प्रावधान है कि जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा और दो बच्चों की नीति का अनुसरण करने वालों को लाभ दिया जाएगा. भाजपा के कुछ सांसद संसद के मॉनसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गैर सरकारी विधेयक पेश करने की तैयारी में हैं.

रमेश ने कहा, ‘यह भाजपा द्वारा खेला जा रहा राजनीतिक खेल है ताकि सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और आवेग को तेज किया जा सके. इनका तथ्यों और उस साक्ष्य से कोई लेना-देना नहीं है कि कैसे पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीकों, महिला साक्षरता के प्रसार, महिला सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था की प्रगति, समृद्धि और शहरीकरण के जरिए राज्य दर राज्य प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आई है.’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 2018-19 के अपने आर्थिक सर्वेक्षण (अध्याय 7) में उन उपलब्धियों की चर्चा की गई है कि कैसे बीती आधी सदी में शिक्षा और प्रोत्साहन के लोकतांत्रिक तरीकों से प्रजनन दर में नाटकीय ढंग से गिरावट आई है.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि ‘वर्ष 2031 तक सभी राज्यों में जन्म दर प्रतिस्थापन स्तर से कम हो जाएगी.’ रमेश ने दावा किया कि भाजपा के सांसदों और मुख्यमंत्रियों ने यह पढ़ा ही नहीं, जो मोदी सरकार ने खुद दो साल पहले लिखा था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘अब ज्यादातर राज्यों में प्रजनन दर 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर के नीचे है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश भी इसे 2025 तक हासिल कर लेंगे और बिहार भी 2030 तक इसे हासिल कर लेगा. जैसे ही प्रतिस्थापन स्तर 2.1 तक पहुंच जाती है और प्रजनन दर गिरने लगती है तो एक या दो पीढ़ियों के बाद जनसंख्या स्थिर हो जाती है या फिर घटने लगती है.’ उन्होंने कहा, ‘केरल और तमिलनाडु में जल्द ही स्थिर जनसंख्या देखने को मिलेगी तथा 2050 तक या इसके आसपास जनसंख्या में गिरावट भी आ सकती है. यह दूसरे राज्यों में भी होगा.’

रमेश ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘जैसा कि मैंने कहा कि दो बच्चों के नियम को जबरन लागू कराने संबंधी कानून की कोई जरूरत नहीं है. चीन पहले ही अपनी एक बच्चे की नीति से पीछे हट चुका है और वह पहले से ही बुजुर्ग होती आबादी और जल्द आबादी कम होने की समस्या का सामना कर रह है.’ यह पूछे जाने पर कि अगर केंद्र सरकार के स्तर पर कानून की पहल की जाती है तो कांग्रेस का क्या रुख होगा, रमेश ने कहा, ‘ हम सरकारी फायदे, चुनाव लड़ने इत्यादि के मकसद के लिए अनिवार्य रूप से या जबरन लाए गए दो बच्चों संबंधी नियम का विरोध करेंगे. आखिरकार इसका कोई मतलब नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति और नरेंद्र मोदी सरकार की अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में दो बच्चों के नियमों को बलपूर्वक लागू कराने का कोई प्रावधान नहीं है. जबरदस्ती करना सबसे अधिक अनावश्यक है. हम बलपूर्वक कदमों के बिना भी प्रजनन के प्रतिस्थापन स्तर को हासिल कर रहे हैं. जबरदस्ती के तरीके संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी होते हैं.’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘यह हमेशा से भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा रहा है. समय-समय पर यह मुद्दा उठाया जाता है. साल 2000 से अब तक 28 गैर सरकारी विधेयक संसद में पेश किए गए हैं, ताकि इस मुद्दे को जिंदा रखा जा सके.’

रमेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून से ज्यादा कारगर कदम लड़कियों को शिक्षित करना है. उन्होंने कहा, ‘मैं नीतीश बाबू की बात से पूरी तरह सहमत हूं.’

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