जलवंशी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र निषाद ने गोरखपुर में पार्टी कार्यालय का शुभारंभ करते हुए दावा किया कि जलवंशी, निषाद, मल्लाह, केवट, धीवर, बिंद, कश्यप सहित 17 से अधिक उपजातिया हैं. राज्य में इनकी जनसंख्या 18 प्रतिशत है, जबकि 180 विधानसभा सीटों पर निषाद वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है.
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गोरखपुर । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जाति वाद परचम लहराने लगा है ब्राह्मण राजपूत और निषाद वोटबैंक को लेकर सियासत फिर से गर्माने लगी है. निषादों के सच्चे खेवनहार बनकर कई दल सामने आ रहे हैं, और सभी एक-दूसरे को फर्जी बता रहे हैं. गोरखपुर निषाद राजनीति के केंद्र में तब्दील हो रहा है. यहां अब जलवंशी क्रांति दल ने पार्टी कार्यालय खोल कर निषाद वोटबैंक पर अपना दावा ठोक दिया है. इस पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने उसे मौकापरस्त करार दिया है.
दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले जातियों के नेता अपनी जाति की हिस्सेदारी मांगने में जुट गए हैं. निषाद वोटबैंक को लेकर भी जमकर सियासत हो रही है. फूलन देवी की हत्या की सीबीआई जांच की मांग और आरक्षण की मांग को लेकर जलवंशी क्रांति दल नाम से एक नई पार्टी मैदान में उतर आयी है. जलवंशी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र निषाद ने गोरखपुर में पार्टी कार्यालय का शुभारंभ करते हुए दावा किया कि जलवंशी, निषाद, मल्लाह, केवट, धीवर, बिंद, कश्यप सहित 17 से अधिक उपजातिया हैं. राज्य में इनकी जनसंख्या 18 प्रतिशत है, जबकि 180 विधानसभा सीटों पर निषाद वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. इसलिए अगर सरकारें मांगे नहीं मानेंगी तो निषाद समाज सरकार बदलने की कूबत रखता है.
साथ ही उन्होंने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने परिवार की चिंता है ना कि निषाद समाज की. निषाद पार्टी क्या है, यह सब जानते हैं. संजय निषाद तो सिर्फ दो प्रतिशत निषादों को लेकर चल रहे हैं. ज्ञानेन्द्र निषाद ने कहा कि निषाद वोटों का असली हकदार सच्चा जलवंशी हैं. उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी ने फूलन देवी को न्याय दिलाने की बात को क्यों नहीं उठाया. वीआईपी पार्टी के ऊपर बीजेपी का दलाल होने का स्टैंप लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि संजय निषाद और वीआईपी पार्टी वाले दलाल हैं.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद दावा करते हैं वो ही समाज के सच्चे हितैषी हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख बहुत से लोग निषादों के हितैषी बन रहे हैं(फाइल फोटो)
संजय निषाद का दावा- वो ही निषाद समाज के सच्चे हितैषी
वहीं, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद दावा करते हैं वो ही समाज के सच्चे हितैषी हैं. विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख बहुत से लोग निषादों के हितैषी बन रहे हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ अन्य छोटे दल भी सामने आ रहे हैं. जबकि उन्होंने निषाद समाज को जगाने का काम किया है. आज निषाद समाज के लोग अपनी ताकत को पहचानने लगे हैं. उन्होंने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हमने (निषाद पार्टी) एक सीट जीती थी, वर्ष 2018 के गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में इतिहास रचा था, पंचायत चुनाव में पूरे प्रदेश में निषाद पार्टी नंबर वन पर रही. जबकि बीजेपी चौथे स्थान पर रही. संजय निषाद ने कहा कि अगर उन्हें पद की लालच होती तो वो बीजेपी में शामिल हो गये होते और वो उन्हें राज्यसभा में भेज देती या फिर मंत्री बना देती.
संजय निषाद ने यह भी दावा किया कि अगर 2022 में बीजेपी आरक्षण नहीं देगी तो अलग रास्ता चुना जायेगा. बीजेपी, एसपी और बीएसपी पहले से ही खुद को निषादों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करती रही हैं. उन्होंने कहा कि निषाद वोटबैंक को लेकर जिस तरह से सियासत चल रही है और सभी प्रमुख दल उसे अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटे हैं उससे तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में निषाद वोटबैंक की लड़ाई और रोचक होगी.