Friday, April 19, 2024
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अफसरी का रुतबा छोड़ भक्ति के मार्ग पर नौकरशाह , क्या अवसाद है इसकी वजह ?

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भारती अरोड़ा का रिटायरमेंट 2031 में होना है। लेकिन, वह 10 साल पहले ही वीआरएस लेना चाहती हैं। उन्‍होंने डीजीपी को पत्र लिखा है। वीआरएस लेने के पीछे कारण बताया है कि वह आगे की जिंदगी धार्मिक तरीके से बिताना चाहती हैं। उनकी इच्‍छा है कि वह चैतन्‍य महाप्रभु, कबीरदास और मीराबाई की तरह प्रभु श्रीकृष्‍ण की साधना करें। इसके पहले आईजी डीके पांडा के कृष्‍ण भक्ति में डूबकर अफसरी छोड़ने की खबरें सुर्खियां बनी थीं।

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नई दिल्ली । ऐसी लागी लगन! आईजी पांडा, भारती अरोड़ा… अफसरी का रुतबा छोड़ कृष्‍ण भक्ति के मार्ग पर नौकरशाह रातोंरात राधा बनने वाले आईजी डीके पांडा की कहानी भला कौन भूल सकता है। 1971 बैच के आईपीएस अफसर पांडा कृष्‍ण भक्ति में ऐसा सराबोर हुए कि अफसरी के रुतबे को ताक पर रख दिया। 1991 से 2005 तक पांडा का राधा रूप चोरी-छुपे चलता रहा। 2005 के बाद पांडा ने अपने हावभाव और परिधान को सार्वजनिक कर दिया। पूर्व आईजी के इस रूप में आने के बाद वह मीडिया की सुर्खियों में खूब छाए रहे। उन्होंने जब अपने पद से इस्तीफा दिया था तब वह यूपी पुलिस में आईजी थे। उन्‍हीं की राह पर अब चल पड़ी हैं हरियाणा की महिला आईपीएस भारती अरोड़ा। 50 साल की भारती अब बाकी का जीवन कृष्‍ण भक्ति में बिताना चाहती हैं।

भारती ने किया वीआरएस के लिए अप्‍लाई

भारती अरोड़ा हरियाणा की पहली महिला पुलिस अधिकारी हैं जिन्‍होंने वीआरएस के लिए अप्‍लाई किया है। वह 50 साल की हैं। उन्‍होंने सरकार से तीन महीने के नोटिस पीरियड से भी छूट देने की गुहार लगाई है। उनके आवेदन पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि कई वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी उनको समझाने का प्रयास कर रहे हैं। नई दिल्‍ली से अटारी जा रही समझौता एक्‍सप्रेस में 18 फरवरी, 2007 को बम ब्‍लास्‍ट हुआ था। इस मामले की जांच में हरियाणा कैडर की आईपीएस भारती अरोड़ा की बड़ी भूमिका थी। उस समय वह हरियाणा राजकीय रेलवे पुलिस में एसपी थीं। अंबाला रेंज की आईजी भारती अरोड़ा अब बाकी का जीवन कृष्‍ण भक्ति करते हुए बिताना चाहती हैं। उन्‍होंने हरियाणा सरकार से स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति वीआरएस के लिए आवेदन किया है।

तेज-तर्रार अफसर की मीराबाई बनने की चाह

भारती अरोड़ा का रिटायरमेंट 2031 में होना है। लेकिन, वह दस साल पहले ही वीआरएस लेना चाहती हैं। उन्‍होंने बीते 24 जुलाई को इसके लिए डीजीपी को पत्र भेजा है। उनका कहना है कि पुलिस सेवा उनके लिए गर्व और जूनून रही है। अब आगे की जिंदगी वह धार्मिक तरीके से बिताना चाहती हैं। वह चैतन्‍य महाप्रभु, कबीरदास और मीराबाई की तरह प्रभु श्रीकृष्‍ण की साधना करना चाहती हैं। उनकी शादी हरियाणा कैडर के ही आईपीएस विकास अरोड़ा से हुई है। उनकी छवि एक तेज-तर्रार और बेहद सक्रिय ऑफ‍िसर के तौर पर रही है।

​सुर्खियां बन गए थे डीके पांडा

इसके पहले कृष्‍ण भक्ति में डूबकर ‘राधा’ का रूप धारण करने वाले पूर्व आईजी डीके पांडा सुर्खियां बने थे। डीके पांडा मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस अधिकारी देवेंद्र किशोर पांडा उर्फ डीके पांडा 2005 में खूब चर्चा में आए थे। तब उन्‍होंने खुद को दूसरी राधा और कृष्ण की प्रेमिका घोषित कर अपने महिला होने की घोषणा की थी। पूर्व आईजी पांडा का कहना था कि वह तो 1991 में उसी दिन राधा बन गए थे, जब एक बार उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण ने आकर कहा कि वह पांडा नहीं बल्कि उनकी राधा हैं, उनकी प्रेमिका। 1991 से 2005 तक पांडा का राधा रूप चोरी छुपे चलता रहा। 2005 के बाद पांडा ने अपने हावभाव और परिधान को सार्वजनिक कर दिया। पूर्व आईजी के इस रूप में आने के बाद वह मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे। वह नवविवाहिता की तरह श्रृंगार करते। मांग में सिंदूर, माथे पर बड़ी-सी बिंदी, हाथों में मेंहदी, कोहनी तक रंग बिरंगी चूड़ियां, कानों में बालियां और नाक में नथुनी, पीला-सलवार कुर्ता, पैरों में घुंघरू और हर पल कृष्णभक्ति में भजन व नृत्य यही उनकी पहचान थी।

​बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर का भी भक्ति में रमा मन

कभी राजनीति में आने को लेकर बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने दो बार सरकारी सेवा से वॉलेंट्री रिटायरमेंट (VRS) लिया। लेकिन, दोनों बार उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। पांडेय का सियासत से इस कदर मोहभंग हुआ कि अब वे गेरुए कपड़े में कथावाचक की भूमिका में आ गए हैं। अपनी नई भूमिका को लेकर हाल में गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि उन्‍होंने अपने आपको भगवान को समर्पित कर दिया है। देश काल परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति की प्राथमिकताएं बदलती रहती हैं। नई भूमिका में उनका बहुत मन लग रहा है। आत्मा की खुराक तो यहीं है। उन्‍होंने अपने आपको भगवान को समर्पित कर दिया है। ठाकुर जी की इच्छा से ही सबकुछ करेंगे। उनकी अपनी कोई इच्छा नहीं है।

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